USC लियोनार्ड डेविस स्कूल ऑफ जेरॉन्टोलॉजी की एक नई स्टडी में पता चला है कि केवल 30 दिन की गाइडेड माइंडफुलनेस मेडिटेशन से इंसान की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता तेज़ और सटीक हो जाती है – और ये असर उम्र की परवाह किए बिना दिखा।
“यह स्टडी दिखाती है कि माइंडफुलनेस सिर्फ सुकून देने वाली चीज नहीं, बल्कि यह दिमाग की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बदल सकती है।”
जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, दिमाग की प्रतिक्रिया धीमी हो जाती है और ध्यान भटकने लगता है। इसकी एक वजह है – लोकोस कोरुलियस-नॉरएड्रेनालिन सिस्टम, जो हमारे ध्यान, याददाश्त और सतर्कता को नियंत्रित करता है। यह सिस्टम उम्र के साथ कमजोर पड़ता है।
रिसर्चर्स ने 69 लोगों को दो ग्रुप्स में बांटा – कुछ युवा, कुछ अधेड़ और कुछ बुजुर्ग।
- आधे लोगों ने हेडस्पेस ऐप से रोज़ 10-15 मिनट माइंडफुलनेस मेडिटेशन किया
- बाकी आधे लोगों ने उसी समय में एक ऑडियोबुक सुनी
30 दिन बाद परिणाम साफ थे – ध्यान करने वालों की आंखें तेज़ी से सही चीज़ों पर जाती थीं, ध्यान कम भटकता था और वे जल्दी निर्णय लेते थे।
“हमें लगा था कि बुजुर्गों को सबसे ज़्यादा फायदा होगा, लेकिन फायदा हर उम्र के लोगों को हुआ।” हैरानी की बात ये रही कि जब प्रतिभागियों से पूछा गया कि उन्हें कितना बदलाव महसूस हुआ – तो ज़्यादातर ने कहा कि कोई खास फर्क महसूस नहीं हुआ। लेकिन उनके दिमाग और आंखों ने अलग कहानी बताई।
फिर दूसरी स्टडी में भी लोगों ने हेडस्पेस ऐप से 30 दिन ध्यान किया। फिर से आई-ट्रैकिंग से पता चला – उनकी नजरें तेज़ हो गईं, रिएक्शन टाइम सुधरा – और वो भी बिना उम्र की परवाह किए।
इन रिसर्चों से साफ है – माइंडफुलनेस ध्यान सिर्फ शांति के लिए नहीं, बल्कि दिमाग को ध्यान केंद्रित करने की ताकत देने के लिए भी कारगर है।
शोधकर्ता अब लंबी अवधि के ध्यान कार्यक्रमों पर रिसर्च करना चाहते हैं – ताकि पता चल सके कि समय के साथ लाभ और भी मजबूत होते हैं या नहीं। किम कहते हैं –
“डिजिटल माइंडफुलनेस से दिमागी सेहत को सपोर्ट करना आसान, सस्ता और सबके लिए उपलब्ध उपाय है – ज़रूरत है सिर्फ नियमित अभ्यास की।”