इसका कारण है कि इससे पहले 2020 में कांग्रेस सरकार में पुस्तकों की समीक्षा की गई थी। बोर्ड सचिव कैलाश चंद्र शर्मा का कहना है कि अभी सभी किताबें बंट चुकी हैं। ऐसे में जो भी कमेटी समीक्षा के बाद सुझाव देगी, वह संशोधन अगले सत्र में लागू होंगे।
अधिकारी को एपीओ कर विभाग ने बोर्ड पर फोड़ा ठीकरा
राज्य में अभी तक किताबों की समीक्षा कराने का काम शिक्षा विभाग का रहा है। इसके लिए विभाग कमेटी बनाकर विवादित अंशों की जांच कराता है। लेकिन बोर्ड की पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ पर विवाद उठने के बाद शिक्षा विभाग ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर ठीकरा फोड़ दिया और बोर्ड के असिस्टेंट डायरेक्टर को एपीओ करने के निर्देश दे दिए। कारण बताया गया है कि, अधिकारी की ओर से किताबों को रिव्यू नहीं कराया गया।
संगठनों का तर्क: राजनीति खत्म कर गुणवत्ता पर ध्यान दे सरकार
शिक्षक संगठनों का आरोप है कि शिक्षा को लेकर राजनीति की जा रही है। राजस्थान प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघर्ष समिति के प्रवक्ता नारायण सिंह सिसोदिया का कहना है कि हर बार सरकार बदलने पर कभी पुस्तक तो कभी ड्रेस और यहां तक साइकिल के रंग को लेकर राजनीति की जाती है। लेकिन सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर काम नहीं करती।
आज भी स्कूलों में भवन की कमी है तो बच्चे टीनशेड में पढ़ रहे हैं। बच्चों को समय पर ड्रेस नहीं दी जा रही, किताबें समय पर वितरित नहीं हो रही हैं। वहीं, स्कूलों में शिक्षकों की भी कमी है। संगठनों का कहना है कि सरकार राजनीति करने के बजाय शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे।