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सिरोही

माउंट आबू के हाई प्रोफाइल ब्लैकमेल कांड में 9 साल बाद आया फैसला, 6 आरोपियों को 6-6 साल के कारावास की सजा

Mount Abu Honeytrap Case: पर्यटन स्थल माउंट आबू के करीब नौ वर्ष पुराने बहुचर्चित हाई प्रोफाइल ब्लैकमेल कांड प्रकरण में फैसला सुनाते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 6 आरोपियों को को सजा सुनाई है।

सिरोहीAug 06, 2025 / 09:36 am

Anil Prajapat

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कोर्ट में आरोपियों को ले जाती पुलिस। फोटो: पत्रिका

Mount Abu High Profile Blackmail Scandal: पर्यटन स्थल माउंट आबू के करीब नौ वर्ष पुराने बहुचर्चित हाई प्रोफाइल ब्लैकमेल कांड प्रकरण में फैसला सुनाते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्याम सुंदर ने एक तथाकथित पत्रकार और एक महिला सहित 6 आरोपियों को मंगलवार को 6-6 साल के कारावास की सजा सुनाई है।

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साथ ही एक-एक लाख का अर्थ दंड भी किया है। प्रकरण में तत्कालीन थाना अधिकारी माउंट आबू रामचंद्र सिंह भी आरोपी था, लेकिन उसकी मौत हो चुकी है। सातवें अभियुक्त परशुराम को बरी किया गया।

साल 2016 का है मामला

जानकारी के अनुसार 23 जून 2016 को माउंट आबू निवासी व्यवसायी विकास अग्रवाल ने माउंट आबू थाने में जोधपुर निवासी सैयद मोईनुल हक (कथित पत्रकार), शिवानी, गोविंद ऊर्फ गोविंद पाल, डेलाणा थाना लोहावट जिला जोधपुर निवासी गोपाल सिंह, भाटावास रानीवाडा जिला जालोर निवासी तत्कालीन थानाधिकारी माउंट आबू रामचंद्र सिंह (मृतक), डेलाणा लोहावट जिला जोधपुर निवासी गोविंद सिंह व परशुराम सिंह निवासी कुड़ी भुगतासनी जोधपुर के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करवाया था।
Mount Abu high profile blackmail scandal

हनीट्रैप में फंसाने की धमकी देकर 30 लाख रुपए ऐंठे

जिसमें बताया था कि अपराधिक षड़यंत्र रचकर आरोपी शिवानी ने मिथ्या रूप से नौकरी प्राप्त करने की साजिश के तहत उसे एक होटल में बुलाया। बाद में होटल के कमरे में ले जाकर आरोपी महिला ने पीड़ित पर बलात्कार का आरोप लगाने की धमकी दी व प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए डरा-धमकाया और सभी आरोपियों ने एक राय होकर पीड़ित व उसके परिजनों से भारी भरकम धनराशि की मांग की। आरोप था कि उन्होंने तीस लाख रुपए ले लिए। जिस पर भादसं की विभिन्न धाराओं में परिवाद दर्ज करने के उपरांत अनुसंधान अधिकारी की ओर से अनुसंधान पूरा कर न्यायालय में चालान पेश किया।

9 साल ​तब चली कानूनी प्रक्रिया

जिस पर करीब नौ वर्ष की लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने पर मंगलवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्याम सुंदर ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। गवाहों के बयानों का गहराई पूर्वक अध्ययन करने के बाद आंकलन किया।

तत्कालीन थाना अधिकारी हो चुकी मौत

हालांकि इस प्रक्रिया के बीच ही तत्कालीन थाना अधिकारी रामचंद्र सिंह राठौड़ की मृत्यु हो गई, जिस पर प्रकरण के अभियुक्तों में से उनके नाम की कार्यवाही ड्रॉप की गई। छह आरोपियों को मंगलवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्याम सुंदर ने विभिन्न धाराओं के तहत 6-6 साल के कारागार की सजा व एक-एक लाख का आर्थिक दंड किया है। सातवें आरोपी परशुराम को बरी किया गया है।

लोक अभियोजक की प्रभावी पैरवी

इस प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक अधिकारी सीमा शर्मा ने प्रभावी पैरवी की, जिससे आरोपियों को सजा मिली। बरी आरोपी परशुराम की ओर से अधिवक्ता बद्रीलाल काबरा, सजा प्राप्त अन्य आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अर्जुद दादरिया ने पैरवी की।

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