ग्रामीण हंसराज चौधरी, पूर्व सरपंच बद्री जाट, कमलेश जाट आदि ने बताया कि भवन अधिक जर्जर व क्षतिग्रस्त होने से कभी भी गिर सकता है। ग्रामीणों ने बताया कि दीवारों के ज्वाइंट खुलने से उनमें दरारें पड़ गई हैं। बरसात के दौरान छत से पानी टपकता है। ऐसे में कमरे तलैया बन जाते है। हर समय हादसा होने का अंदेशा बना हुआ है।
दो कमरों के लगाए रेडक्रॉस
ग्रामीणों ने बताया कि मौके पर पहुंचे सिंगोरकलां के कार्यवाहक प्रधानाचार्य ने अधिक जर्जर व क्षतिग्रस्त कमरों के बाहर रेड क्रॉस लगाकर उन्हें सील कर दिया है। ताकि भवन के अंदर विद्यार्थी नहीं जाए। उन्होंने अभिभावकों के सहयोग से चारों ओर रस्सी बांधी।
खुले में संचालित होंगी कक्षाएं
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय भवन पूरा क्षतिग्रस्त है तो ऐसी स्थिति में शिक्षा अधिकारियों के सामने कक्षाएं संचालित कराना चुनौती से कम नहीं हैं। सवाल खड़ा होता है कि जब स्कूल में विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं हैं तो स्कूल की कक्षा कहां संचालित की जाएगी। उन्होंने शिक्षाधिकारियों से स्कूल का निरीक्षण विद्यार्थियों की कक्षाएं संचालित करने की मांग की है। उधर, इस संबंध में सिगोरकलां के कार्यवाहक प्रधानाचार्य से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया तो उससे संपर्क नहीं हो सका।