यह भी हादसों के कारण
हादसों के पीछे सड़कों की गलत इंजीनियरिंग, अंधे मोड़ और तेज रफ्तार भी है। इसके अलावा वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग भी जानलेवा साबित हो रहा है। दो दिन पहले ही बारातियों से भरी बस पलटने की वजह चालक का तेज रफ्तार में मोबाइल पर रास्ता खोजना बताया जा रहा है।संसाधन के साथ बल की कमी
हादसों को रोकने या कम करने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है, लेकिन इसमें संसाधन और बल की कमी आड़े आ रही है। विभाग के पास न तो पर्याप्त ब्रीथ एनालाइजर हैं और न इतने पुलिसकर्मी की वह हर थाना क्षेत्र में रुटीन जांच कर सकें। शहर में पुलिस ब्रीथ एनालाइजर का उपयोग कर नशे में वाहन चला रहे लोगों पर कार्रवाई करती है, लेकिन यह जांच भी त्योहारी सीजन जैसी ही कभी-कभार होती है।एक्सपर्ट व्यू
हर साल जिला अस्पताल की मर्चुरी में 350 से ज्यादा पोस्टमार्टम करता हूं, जिसमें सुसाइड, हत्या, संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के साथ सड़क हादसे शामिल हैं। इनमें 50 प्रतिशत केस सड़क हादसों से जुड़े होते हैं। सड़क हादसों में भी 25 से 30 प्रतिशत ड्रिंक एंड ड्राइव तो 15 फीसदी मामले ऐसे होते हैं, जिनमें हादसे की वजह चालक का थका होना होता है। इसके अलावा हादसों की कई अन्य वजह रहती हैं, लेकिन नशे में वाहन चलाना सबसे ज्यादा मौत का कारण बन रहा है। – डॉ. अजय यादव, जिला अस्पताल सागरफैक्ट फाइल
7 नेशनल व स्टेट हाइवे जिले से गुजरे28 ब्लैक स्पॉट हाइवे पर
13 हजार से ज्यादा हादसे 2 साल में
1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई
6000 से ज्यादा हादसे पिछले 4 माह में