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ट्रामा सेंटर न होने से हर साल बीएमसी से रेफर रहे 2000 मरीज, कई रास्ते में ही तोड़ देते हैं दम

बीएमसी प्रबंधन ने डीएमई को फिर भेजा 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव, जगह की कमी भी खल रही सागर. सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए पूरे संभाग में कहीं भी उचित उपचार की व्यवस्था नहीं है। जान बचाने के लिए घायलों को निजी अस्पताल ले जाना पड़ता है, जहां परिवार आर्थिक […]

सागरMay 12, 2025 / 11:22 pm

नितिन सदाफल

बीएमसी प्रबंधन ने डीएमई को फिर भेजा 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव, जगह की कमी भी खल रही

सागर. सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए पूरे संभाग में कहीं भी उचित उपचार की व्यवस्था नहीं है। जान बचाने के लिए घायलों को निजी अस्पताल ले जाना पड़ता है, जहां परिवार आर्थिक रूप से टूट जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ गरीब मरीज सीधे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर ट्रामा सेंटर न होने पर उन्हें जबलपुर-भोपाल भेजना पड़ता है। मरीज को इलाज की तत्काल जरूरत होती है, लेकिन 4-5 घंटे बाद जब वह पहुंचते हैं तो केस और बिगड़ जाता है, कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। सिर्फ बीएमसी से ही 2000 से अधिक मरीज हर साल रेफर होते हैं। ट्रामा सेंटर के लिए बीएमसी प्रबंधन ने करीब 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव शासन को भेजा है लेकिन जगह की कमी सहित कई चुनौतियां हैं।

हर दिन पहुंच रहे 25-30 मरीज

सागर सहित संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना और दमोह में हर साल 13 हजार से अधिक हादसे होते हैं। बीएमसी के आपातकालीन वार्ड में हर दिन 25-30 एक्सीडेंटल केस पहुंचते हैं, जिसमें प्रतिदिन 5-6 और माह में 150 मरीजों को रेफर करना पड़ता है। भोपाल व जबलपुर जाने में एम्बुलेंस को 5 घंटे का समय लग जाता है, ऐसे में कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है।

ट्रामा सेंटर क्षेत्र की जरूरत

हाल ही में बीएमसी प्रबंधन ने ट्रामा सेंटर के लिए 25 करोड़ 63 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा है। प्रस्ताव में ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग और न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी सहित तमाम इमरजेंसी व्यवस्थाएं बनाने की मांग की है। कहा गया है कि बुंदेलखंड में नेशनल व स्टेट हाइवे की संख्या बढऩे से हादसों की संख्या बढ़ रही है और क्षेत्र में ट्रामा सेंटर की बेहद जरूरत है।

मरीजों का गोल्डन समय बचेगा

डीन डॉ. पीएस ठाकुर की मानें तो ट्रामा सेंटर गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के गोल्डन समय को बचाता है। समय पर इलाज से मरीज की जान के साथ उन्हें विकलांग होने से बचाया जा सकता है। यह सेंटर विशेष रूप से उन मरीजों के लिए फायदेमंद रहेगा जो सड़क दुर्घटना या गंभीर चोटों का शिकार होते हैं। जहां डॉक्टर व सर्जन की टीम चौबीस घंटे तैनात रहेंगे और मरीज के पहुंचते ही इलाज शुरू करेंगे।
-एक्सीडेंट केसों में सबसे ज्यादा परेशानी न्यूरो के केस में होती हैं, सिर में गंभीर चोटें होने पर मरीजों को रेफर करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर प्रबंधन ने ट्रामा सेंटर के लिए प्रस्ताव भेजा है। शासन को क्षेत्रीय समस्या से अवगत कराया गया है, यदि राशि स्वीकृत होती है तो जल्द ही इसका कार्य शुरू होगा।
– डॉ. विशाल भदकारिया, मीडिया प्रभारी बीएमसी।

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