हर दिन पहुंच रहे 25-30 मरीज
सागर सहित संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना और दमोह में हर साल 13 हजार से अधिक हादसे होते हैं। बीएमसी के आपातकालीन वार्ड में हर दिन 25-30 एक्सीडेंटल केस पहुंचते हैं, जिसमें प्रतिदिन 5-6 और माह में 150 मरीजों को रेफर करना पड़ता है। भोपाल व जबलपुर जाने में एम्बुलेंस को 5 घंटे का समय लग जाता है, ऐसे में कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है।ट्रामा सेंटर क्षेत्र की जरूरत
हाल ही में बीएमसी प्रबंधन ने ट्रामा सेंटर के लिए 25 करोड़ 63 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा है। प्रस्ताव में ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग और न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी सहित तमाम इमरजेंसी व्यवस्थाएं बनाने की मांग की है। कहा गया है कि बुंदेलखंड में नेशनल व स्टेट हाइवे की संख्या बढऩे से हादसों की संख्या बढ़ रही है और क्षेत्र में ट्रामा सेंटर की बेहद जरूरत है।मरीजों का गोल्डन समय बचेगा
डीन डॉ. पीएस ठाकुर की मानें तो ट्रामा सेंटर गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के गोल्डन समय को बचाता है। समय पर इलाज से मरीज की जान के साथ उन्हें विकलांग होने से बचाया जा सकता है। यह सेंटर विशेष रूप से उन मरीजों के लिए फायदेमंद रहेगा जो सड़क दुर्घटना या गंभीर चोटों का शिकार होते हैं। जहां डॉक्टर व सर्जन की टीम चौबीस घंटे तैनात रहेंगे और मरीज के पहुंचते ही इलाज शुरू करेंगे।– डॉ. विशाल भदकारिया, मीडिया प्रभारी बीएमसी।