यही वजह है कि सुबह होते ही तालाब के किनारे रौनक लग जाती है। कोई परिवार के साथ पिकनिक मना रहा है तो कोई दोस्तों संग हंसी-ठहाकों में डूबा है। मोबाइल कैमरे हर तरफ चालू हैं: कहीं ग्रुप फोटो, कहीं कैंडिड शॉट्स तो कहीं अलग-अलग एंगल से ली जा रही सेल्फियां। इंस्टाग्राम-फेसबुक की स्टोरीज के लिए ‘फ्रेम’ तो शानदार है, लेकिन जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
सेल्फी का चस्का, सावधानी का टोटा
खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाने में कोई बुराई नहीं, लेकिन कुछ लोग इस खूबसूरती को ‘डेरिंग’ में बदलने पर तुले हैं। प्रशासन और पुलिस कई बार चेतावनी दे चुकी है कि पाल की दीवारों के किनारे जाना खतरनाक हो सकता है। बावजूद इसके, युवाओं की टोली दीवार पर चढ़कर ‘रेयरक्लिक’ लेने में मशगूल है। कई बार छोटे बच्चे भी बड़ों की देखा-देखी यही हरकतें करने लगते हैं। स्थानीय लोग डरे हुए हैं। उन्हें बीते साल का वो मंजर याद है, जब मूसलाधार बारिश में तालाब के किनारे बना उद्यान अचानक ढह गया था। गनीमत रही कि तब कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन इस बार भीड़ और लापरवाही की तस्वीरें उसी खतरे को फिर सामने खड़ा कर रही हैं।
कहीं खुशी के पल मातम में न बदल जाएं
तालाब के किनारे हाल ही में नई दीवार और कुछ मरम्मत का काम हुआ है। लेकिन नए निर्माण को भीड़ के बोझ और लोगों की लापरवाही ने फिर से खतरे में डाल दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई परिवार बच्चों को लेकर तालाब के मुहाने तक पहुंच जाते हैं, जहां जरा सी फिसलन या धक्का किसी को भी पानी में गिरा सकता है। और फिर बहते पानी के साथ हादसा पल भर में हो सकता है।
लोगों ने प्रशासन से लगाई गुहार
स्थानीय नागरिकों ने नगरपालिका और पुलिस से साफ कहा है कि चेतावनी बोर्ड तो लगाइए ही, साथ में सुरक्षा गार्ड भी तैनात कीजिए। कुछ दिनों तक पुलिस गश्त भी बढ़ाई जाए ताकि ‘सुकून की जगह’ कहीं ‘संकट का गढ़’ न बन जाए। लोगों का कहना है कि तालाब से छलकता पानी भले दिल को सुकून दे, लेकिन जरा सी असावधानी पूरे परिवार को मातम में डुबो सकती है। इसलिए पाल की दीवारों पर चढ़ने या जान जोखिम में डालने वाले ‘सेल्फीप्रेमियों’ को रोकना बहुत जरूरी है।