scriptतीन ओर से पानी में घिरा खाकरमाला का पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, तालाब की आकृति भारत के नक्शे जैसी | Pashupatinath Mahadev temple of Khakarmala is surrounded by water on three sides, the shape of the pond is like the map of India | Patrika News
राजसमंद

तीन ओर से पानी में घिरा खाकरमाला का पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, तालाब की आकृति भारत के नक्शे जैसी

राजसमंद जिले के आमेट तहसील क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे अनूठे मंदिरों में एक नाम खाकरमाला गांव के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का भी है।

राजसमंदJul 24, 2025 / 12:11 pm

Madhusudan Sharma

Mahadev Mandir

Mahadev Mandir

राजसमंद. राजसमंद जिले के आमेट तहसील क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे अनूठे मंदिरों में एक नाम खाकरमाला गांव के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का भी है। करीब नौ साल पहले आड़ावाला तालाब के किनारे संत महंत हरिदास के संकल्प और स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बना यह शिवालय अब श्रद्धालुओं के लिए आस्था और पर्यटन का संगम बन गया है।

कैसे बना यह अद्भुत शिवधाम?

साल 2004 में जब महंत हरिदास पहली बार इस वीरान इलाके में आए, तब यहां केवल वीरान पहाड़ी और तालाब था। उन्होंने एक झोपड़ी डालकर शिवलिंग स्थापित किया और एक छोटे आश्रम की नींव रखी। भगवान पशुपतिनाथ की महिमा और लोगों की श्रद्धा ने धीरे-धीरे इस स्थान को भव्य मंदिर में बदल दिया। साल 2016 में करीब 1 करोड़ रुपये की लागत से बने इस मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ, जिसमें पूरे मेवाड़ अंचल से 151 संत-महात्मा, महामंडलेश्वर और हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। इस शिवालय के साथ ही परिसर में मां अंबे रानी, राम दरबार, गजानंद जी, हनुमान जी और नंदी महाराज के मंदिर भी स्थापित किए गए।

तालाब की आकृति में छिपा भारत का नक्शा

खाकरमाला का यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसके तीनों ओर आड़ावाला तालाब का पानी घिरा रहता है। दूर से देखने पर तालाब की आकृति हूबहू भारत के मानचित्र जैसी नजर आती है, वहीं सामने अरावली पर्वतमाला की पहाड़ी हिमालय पर्वत की छवि प्रस्तुत करती है। तालाब के बीच स्थित पहाड़ी ओमकार के आकार जैसी प्रतीत होती है।

बरसात में झरनों सा नजारा

कोटेश्वरी नदी पर बना यह तालाब जब पूरा भर जाता है, तो मंदिर के चारों तरफ बहता पानी झरनों जैसा दृश्य उत्पन्न करता है। तालाब की 60 फीट लंबी पाल से गिरता पानी यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्राकृतिक झरने का आभास कराता है।

तीन दिवसीय हरियाली अमावस्या मेला

यहां हर साल हरियाली अमावस्या पर तीन दिवसीय विशाल मेला लगता है, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और सावन मास में भी विशेष पूजा-अर्चना और मनोरथ होते हैं।

गांवों का योगदान

खाकरमाला, टीकर, गुनिया, टनका, बियाना समेत आसपास के गांवों के लोगों ने अपनी श्रद्धा और सामूहिक योगदान से इस मंदिर को आकार दिया। आज यह मंदिर करीब दो बीघा क्षेत्र में फैला है, जिसमें विशाल मंदिर प्रांगण के साथ भोजशाला, संत विश्रामगृह, वाहन पार्किंग, सभा स्थल, सुंदर उद्यान और बच्चों के खेलने की सुविधाएं भी विकसित की गई हैं।

आध्यात्मिक शांति का केन्द्र

महंत हरिदास का कहना है कि यह जगह पूर्वकाल में भी संतों की तपोभूमि रही है। आज भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है। तालाब की लहरें और पहाड़ी की हरियाली इस स्थल को और भी पवित्र बना देती हैं।

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