‘पत्रिका’ के पास कुछ पालकों और छात्रों ने फोन करके यह जानना चाहा कि वह अभी अध्ययनरत हैं। ऐसे में क्या उन्हें भी एक वर्ष के बांड का लाभ मिलेगा। पत्रिका ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के
अधिकारियों से बात की तो पता चला कि यह नियम इस वर्ष प्रवेश लेने वालों के लिए होगा।
दो साल की ग्रामीण सेवा का था नियम पिछले साल से बिना नियम बनाए दो साल के बांड में पोस्टिंग मेडिकल कॉलेजों में होती रही है। पहले जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में पोस्टिंग होती थी। कुछ रसूखदार मेडिकल कॉलेज में पोस्टिंग करा लेते थे। पहले दो साल की ग्रामीण सेवा कहा जाता था, लेकिन पिछले साल से पोस्टिंग बदल गई है।
प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें 1430 सीटें हैं। हालांकि इस बार एमबीबीएस की 150 सीटें घट गई हैं, क्योंकि सीबीआई छापे के बाद रावतपुरा सरकार कॉलेज को जीरो ईयर घोषित कर दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में थी डॉक्टरों की कमी दो वर्ष का नियम लागू करने का उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर उपलब्ध हो सकें। पहले डॉक्टरों की कमी थी, लेकिन अब कॉलेजों की संख्या बढ़ने से यह समस्या नहीं है। इस कारण रोटेशन में डॉक्टर मिलते रहते हैं।