पहले से तय था कार्यक्रम
सोमवार दिन में उपराष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस नोट जारी किया था। इसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की 23 जुलाई की जयपुर में एक आधिकारिक यात्रा की घोषणा की गई थी। धनखड़ ने भी कुछ दिन पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपने रिटायरमेंट को लेकर बयान दिया था। धनखड़ ने कहा था कि मैं सही समय पर, 10 अगस्त 2027 में, ईश्वरीय कृपा के अधीन, सेवानिवृत्त हो जाऊंगा। इस दिन उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होना था।
बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में लिया था हिस्सा
सोमवार शाम को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ विपक्षी नेताओं के साथ मौजूद ते, लेकिन बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू नहीं पहुंचे। वह मंगलवार (आज) कमेटी को लंच पर बुलाने वाले थे। इन सब बातों को जोड़ कर देखने पर कहा जा रहा है कि तबीयत तो बहाना है। उनसे इस्तीफा लिया गया है।
सोशल मीडिया पर जमकर हुई चर्चा
सोशल मीडिया साइट्स पर उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे की खबर की जमकर चर्चा हुई। कुछ लोगों ने कहा कि धनखड़ साहब की तबीयत खराब हो सकती है। उनकी निजता का सम्मान भी किया जाना चाहिए, लेकिन राजनीति में ऐसे मुद्दों पर कयास लगाए जाते हैं।
कहीं इस्तीफे का संबंध नए बीजेपी अध्यक्ष पद से तो नहीं
बीजेपी में लंबे समय से कोई अध्यक्ष नहीं बना है। उन्होंने कहा कि क्या उनके इस्तीफे का इससे संबंध हो सकता है? उन्होंने कहा कि क्या किसी और उपराष्ट्रपति बनाकर संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी। यह बड़ा पद है। कहा जा रहा है कि यह सबकुछ जेपी नड्डा के लिए किया जाएगा, ऐसा नहीं लगता है, क्योंकि नड्डा देश के स्वास्थ्य मंत्री है। लेकिन घटनाक्रम जितनी तेजी से बदला है। इसमें कुछ तो बात है। अगर सेहत की वजह से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा होता तो सत्र शुरू होने से पहले ही हो जाता।
राज्यसभा में शर्मिंदगी झेलनी पड़ी
एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन भाजपा को राज्यसभा में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में महाभियोग चलाने के लिए बीजेपी लोकसभा में आम राय बनाने की कोशिश में जुटी हुई थी। इधर, राज्यसभा में उपराष्ट्रपति व सभापति धनखड़ ने प्रस्ताव का जिक्र कर दिया। धनखड़ ने राज्यसभा में कहा कि माननीय सदस्यों, मुझे आपको सूचित करना है कि मुझे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए एक वैधानिक समिति गठित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इस पर राज्य सभा के 50 से ज़्यादा सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, और इस प्रकार यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक संख्यात्मक आवश्यकता को पूरा करता है। बता दें कि, उपराष्ट्रपति के लिए प्रस्ताव पेश करना बाध्यकारी था। उन्होंने इसके लिए सत्ता पक्ष से परामर्श भी नहीं किया।
न्यायपालिका के साथ हमेशा रहा टकराव
कुछ भाजपा नेताओं ने दावा किया कि पार्टी के शीर्ष नेता उपराष्ट्रपति धनखड़ द्वारा न्यायपालिका को लेकर दिए जा रहे बयान पर असहज महसूस कर रहे थे। वह उपराष्ट्रपति और न्यायपालिका के टकराव से खुश नहीं थे। एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर बड़ी टिप्पणी कर दी थी। धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए समय सीमा तय करने की बात कही थी। इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 142 एक ऐसी परमाणु मिसाइल बन गया है, जो लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ न्यायपालिका के पास चौबीसों घंटे मौजूद रहती है। उन्होंने जस्टिस वर्मा वाले मामले पर कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता जांच के खिलाफ एक आवरण नहीं हो सकती है।
कांग्रेस ने कहा पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस सासंद सुखदेव ने बड़ा बयान दिया। भगत ने कहा कि धनखड़ के इस्तीफे की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी। उन्होंने कहा कि बीजेपी हर फैसला चुनाव को देखते हुए लेती है। अभी बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है। राज्यसभा के उपसभापति बिहार से हैं। उन्होंने कहा कि संभावना है कि बीजेपी हरिवंश को अगला उपराष्ट्रपति बना सकती है। भगत ने कहा कि बीजेपी ने धनखड़ को परेशान किया।