नया पुल जीवन ज्योति अस्पताल के पास से शुरू होकर ईसीसी के निकट से होते हुए यमुना पार शुआट्स (पूर्ववर्ती एजीएमसी) तक जाएगा। पुल की अनुमानित लंबाई करीब 1500 मीटर तय की गई है, हालांकि फाइनल सर्वे के बाद लंबाई और रूट में कुछ परिवर्तन संभव है। सर्वेक्षण में पुल की स्थिति, लागत, भूमि अधिग्रहण और अन्य तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
यह अत्याधुनिक दो लेन वाला पुल “स्फेरिकल बेयरिंग” तकनीक पर आधारित होगा, जो भूकंप, चक्रवात और विस्फोट जैसी आपदाओं को भी झेलने में सक्षम रहेगा। निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी एजेंसी का चयन जल्द ही किया जाएगा।
रेलवे ने इस परियोजना को वर्ष 2031 के पूर्व पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, ताकि प्रयागराज में प्रस्तावित कुम्भ मेले से पहले इस पुल पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो सके। प्रयागराज से मुंबई रूट पर तीसरी लाइन का कार्य पहले से ही प्रगति पर है, और नए पुल के बिना इस रूट की कनेक्टिविटी अधूरी रहेगी।
एडीआरएम संजय सिंह ने बताया कि यमुना पर नया पुल प्रयागराज के रेलवे नेटवर्क के लिए बेहद आवश्यक है। इसे देश की नवीनतम तकनीक के साथ तैयार किया जाएगा और सर्वेक्षण कार्य को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि निर्माण कार्य समय से शुरू हो सके।
160 साल पुराना है मौजूदा पुल 1865 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित वर्तमान यमुना पुल आज भी प्रयागराज की जीवन रेखा बना हुआ है। इस पुल पर ऊपर रेलगाड़ियों का संचालन और नीचे छोटे वाहनों की आवाजाही होती है। बढ़ते लोड के कारण कुछ वर्षों पहले भारी वाहनों का संचालन इस पुल पर प्रतिबंधित कर दिया गया था। महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान इस पुल पर अत्यधिक भीड़ देखी जाती थी।
अब नए पुल के निर्माण से प्रयागराज की कनेक्टिविटी को नया आयाम मिलने की उम्मीद है।