दोनों पीढ़ियों द्वारा अपनी-अपनी उपयोगिताओं और आवश्यकताओं को समझना चाहिए। पुरानी पीढ़ी द्वारा परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए तथा सकारात्मक पक्षों का स्वागत करना चाहिए लेकिन इसके साथ ही नई पीढ़ी को भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और सभ्यता की अनवरत विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए। – दामोदर शर्मा, लूणकरणसर
पुरानी पीढ़ी के अनुभवों को नई पीढ़ी के साथ साझा करना आवश्यक है। इतिहास केवल अतीत का अध्ययन नहीं, बल्कि भविष्य के लिए बीज बोने का माध्यम है। हम संवाद को प्रोत्साहित करें। – टी एस कार्तिक, चेन्नई
आजकल नई और पुरानी पीढ़ी के बीच काफी अंतर आ गया है। इस दूरी को कम करने के लिए संयुक्त परिवार प्रथा को महत्त्व देना चाहिए। परिवार के बीच में रहकर ही नई और पुरानी पीढ़ी के लोग एक दूसरे के मनोभावों व क्रियाकलापों को समझेगें। दादा-दादी, नाना-नानी के किस्सों वाला माहौल फिर से निर्मित होना चाहिए। – साधना ब्यौहार, सिहोरा (मप्र)
पुरानी और नई पीढ़ी के बीच, जो संवाद में तनाव होता है। उसे दोनों को समझदारी के दूर करने की आवश्यकता है। एक-दूसरे के बातों को समझे और एक दूसरे से संवाद कायम रखे। अगर एक दूसरे के बातों को महत्त्व देंगे तो दोनों पीढ़ी के बीच संवाद को कायम किया जा सकता है। संवाद के लिए दोनों पीढी को समझना होगा और एक दूसरे को सहयोग प्रदान करना होगा। – दिलीप शर्मा, भोपाल