यूक्रेन के ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ के तहत रूस पर किए गए ड्रोन हमले ने बता दिया है कि अब युद्ध के तरीके में भारी बदलाव आ गया है। भारी भरकम पैसा खर्च कर तैयार किए जाने वाली मिसाइलों-टैंकों की तुलना में बहुत कम खर्च पर तैयार होने वाले ड्रोन युद्ध में जो कुछ प्रदर्शित कर रहे हैं उसे देखते हुए रक्षा तैयारियों में ड्रोनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है। यूक्रेन ने रूस पर जो हमले किए, वे खास थे। जो सैन्य ठिकाने बहुत अंदर तक थे, उन्हें भी आसानी से निशाना बनाया गया। हालांकि भारत हर तरीके से दुश्मन का जवाब देने में सक्षम है फिर भी रूस पर हुए ड्रोन हमले के बाद उसे अधिक सतर्क होने की जरूरत है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तुर्किए और चीन के ड्रोनों की मदद से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। भारत को ड्रोन हमले से निपटने और ड्रोन निर्माण के मजबूत इंतजाम करने होंगे। भारत को नुकसान पहुंचाने की ताक में रहने वाला चीन इस क्षेत्र में आगे है। चीनी सरकार ने ड्रोन-निर्माण उद्योग को बढ़ावा दिया है। इसी का नतीजा है कि वैश्विक ड्रोन बाजार के 90 प्रतिशत हिस्से पर चीनी कंपनी डीजेआइ का कब्जा है। यूक्रेन द्वारा बनाए जाने वाले ज्यादातर ड्रोन में चीन निर्मित पुर्जे इस्तेमाल किए जाते हैं। यूक्रेन के जिन ड्रोनों ने रूस में तहलका मचाया वे भी तस्करी कर लाए गए थे। बाद में उनको ट्रकों पर उनके लक्ष्यों के करीब रखा गया।
भारत को ड्रोन निर्माण और ड्रोन की तस्करी रोकने पर तो ध्यान देना ही होगा, ड्रोन हमले को विफल करने का मजबूत ढांचा भी तैयार करना होगा। सीमा पर ही नहीं, देश के भीतर भी महत्त्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए भारत को काउंटर ड्रोन सिस्टम में ज्यादा निवेश करना होगा।