11 लोगों की मौत, 33 गंभीर रूप से घायल
इस दर्दनाक हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 33 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। मृतकों में ज़्यादातर की उम्र 40 साल से कम थी। इस हादसे में जान गंवाने वालों में कोई पानीपूरी बेचने वाले का बेटा था, तो कोई नया -नया आईटी कंपनी का कर्मचारी था। इसमें एक 14 साल की स्कूल की छात्र भी थी। ये सभी अपनी फेवरेट टीम की ख़िताबी जीत का जश्न मनाने आए थे और हादसे का शिकार हो गए। “मैंने उसे कभी अपनी पानीपुरी की दुकान पर प्लेटें साफ़ करने नहीं दीं, क्योंकि मैं चाहता था कि वह कॉलेज जाए। मैंने उसे बड़ी मेहनत और प्यार से पाला था। अब वह चला गया,” ये शब्द हैं मनोज कुमार के पिता के, मनोज की इस भगदड़ में मौत हो गई है। बेंगलुरु के बोरिंग अस्पताल की मोर्चरी के बाहर अपने बेटे की पहचान करने का इंतज़ार करते हुए उनकी आंखें भर आई और वे ज़ोर -ज़ोर से रोने लगे।
पानीपूरी बेचने वाले का बेटा बना हादसे का शिकार
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मनोज के पिता उत्तर बेंगलुरु में पानीपुरी की दुकान लगाते हैं। उनका 18 वर्षीय बेटा प्रेसिडेंसी कॉलेज के फ़र्स्ट ईयर का छात्र था। मनोज अपने पड़ोस के तीन दोस्तों के साथ RCB की जीत का जश्न मनाने स्टेडियम गया था। मनोज के दोस्त ने बताया कि स्टेडियम जाने की जिद मनोज ने ही की थी। मनोज के पिता ने अपने बेटे की मौत का दोष उसके दोस्तों पर लगाया। उन्होंने कहा, “ये लोग ही उसे जबरन स्टेडियम लेकर गए थे।”
ऐसे शुरू हुई भगदड़
भगदड़ के दौरान मनोज अपने दोस्तों से बिछड़ गया था। उसकी मौत की खबर 24 वर्षीय मोहम्मद हुसैन नाम के शख्स ने दी। हुसैन ने मनोज को अस्पताल पहुंचाने में मदद की थी और साथ ही उसका मोबाइल फोन की उसी के पास था। हुसैन ने बताया, “चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट नंबर 20 के बाहर एक घंटे से अधिक समय से भीड़ इंतजार कर रही थी और बेचैन थी। लगभग 3:35 बजे, ऑनलाइन टिकट चेक करने के लिए गेट थोड़ा खुला, तो भीड़ धक्का-मुक्की करते हुए अंदर घुस गई। वहां केवल तीन पुलिसकर्मी और कुछ स्टेडियम सुरक्षा गार्ड मौजूद थे।”
500 लोग कुचल कर चले गए
भीड़ ने अचानक तेज़ी से गेट नंबर 20 को पूरा खोल दिया, जिससे भारी भगदड़ मच गई। हुसैन ने बताया, “जब गेट खुला, तो बाहर खड़े सभी लोग अंदर घुसने की कोशिश करने लगे और भगदड़ शुरू हो गई। जिन लोगों को चोटें आईं या जिनकी मौत हुई, वे सब स्टेडियम में घुस चुके थे और गिरने के बाद भीड़ ने उन्हें कुचलना शुरू कर दिया। एक व्यक्ति का पैर पुलिस बैरिकेड में फंस गया, वह गिर पड़ा, और लगभग 500 लोग उसके ऊपर से गुजर गए। पुलिस की मदद से हमें करीब दो घंटे भीड़ से लड़ते हुए उसका शव स्टेडियम से बाहर निकालना पड़ा। फिर उसे अस्पताल ले जाने में एक और घंटा लगा।” हुसैन ने कहा, “मैं अपने दोस्तों के साथ आया था। वे स्टेडियम में घुस गए, लेकिन मैं अंदर नहीं जा सका क्योंकि मैंने उन लोगों की मदद करने के लिए रुक गया जो भीड़ में कुचले जा रहे थे।”