निर्विरोध चुनाव के लिए न्यूनतम प्रतिशत वोट तय करे सरकार
सुप्रीम कोर्टः नोटा है तो निर्विरोध कैसे? नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार से कहा कि वह चुनावों में निर्विरोध उम्मीदवारों को विजेता घोषित किए जाने से पहले न्यूनतम प्रतिशत वोट हासिल करने की आवश्यकता वाला एक सक्षम प्रावधान लाने पर विचार करे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ […]


सुप्रीम कोर्टः नोटा है तो निर्विरोध कैसे? नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार से कहा कि वह चुनावों में निर्विरोध उम्मीदवारों को विजेता घोषित किए जाने से पहले न्यूनतम प्रतिशत वोट हासिल करने की आवश्यकता वाला एक सक्षम प्रावधान लाने पर विचार करे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 53(2) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार कर रही थी, जो निर्विरोध चुनावों में उम्मीदवारों के प्रत्यक्ष चुनाव यानी मतदान कराए बिना चुनाव लड़ने का प्रावधान करती है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विवादित प्रावधान मतदाताओं को ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) चुनने के अधिकार से वंचित करता है। याचिका पर अक्टूबर, 2024 में नोटिस जारी किया गया था। न्यायमूर्ति कांत ने चुनाव आयोग के जवाबी हलफनामे का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कहा कि केवल 9 ऐसे उदाहरण हैं जहां निर्विरोध उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य विधानसभाओं के मामले में ऐसे कई और उदाहरण हैं। चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने दलील दी कि पिछले 25 वर्षों में संसदीय स्तर पर ऐसा केवल एक उदाहरण है।
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