रिपोर्ट के अनुसार, निम्न-मध्यम आय वाले देशों (एलएमआइसी) के लिए 3.65 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा लागू करने पर गरीबी 61.8% से घटकर 28.1% हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए। एलएमआइसी सीमा पर ग्रामीण गरीबी 69% से घटकर 32.5% हो गई, जबकि शहरी गरीबी 43.5% से घटकर 17.2% हो गई। विश्व बैंक ने कहा कि ग्रामीण-शहरी अंतर 25% से घटकर 15% अंक रह गया, जो 7% वार्षिक गिरावट को दर्शाता है। विश्व बैंक का बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ), जिसमें अत्यधिक गरीबी शामिल है लेकिन पोषण और स्वास्थ्य से वंचित होना शामिल नहीं है, दर्शाता है कि गैर-मौद्रिक गरीबी 2005-06 में 53.8% से घटकर 2019-21 में 16.4% और 2022-23 में 15.5% हो गई है।
यूपी समेत पांच राज्यों में तेजी से घटी गरीबी पांच सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गरीबी घटी है। वर्ष 2011-12 में देश के 65% अत्यंत गरीब इन्हीं राज्यों मे थे। वर्ष 2022-23 तक अत्यंत गरीबी में होने वाली समग्र गिरावट में इनका योगदान दो-तिहाई रहा।
शहरी बेरोजगारी घटकर 6.6% पर पहुंची 2021-22 से रोजगार वृद्धि की दर कार्यशील उम्र की आबादी से अधिक रही है। शहरी बेरोजगारी घटकर 7.8% से 6.6% (वित्तवर्ष 24-25 की पहली तिमाही) पर आ गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और स्वरोजगार में भी वृद्धि देखी गई है। हालांकि, युवा बेरोजगारी दर 13.3% पर बनी हुई है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं में यह अभी 29% तक है।