सर्वोच्च मानकों पर रखी जाएगी सुरक्षा
दिल्ली सरकार ने इस निर्णय को लागू करने से पहले सुरक्षा से जुड़े कड़े नियम तय किए हैं। इसके तहत कार्यस्थल पर सीसीटीवी की निगरानी, महिला सुरक्षा गार्ड की तैनाती और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित परिवहन जैसी सुविधाएं अनिवार्य की गई हैं। इस कानून के तहत किसी महिला कर्मचारी को केवल उसकी लिखित सहमति के बाद ही रात की शिफ्ट में लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, यदि कोई महिला नाइट शिफ्ट में काम नहीं करना चाहती तो उसे नौकरी से निकाला नहीं जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था पर उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में अपने एक फैसले में महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट पर लगे प्रतिबंधों को अनुचित ठहराया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। काम करने पर रोक लगाना नहीं। उन्होंने सवाल उठाया था कि जब पुरुष पायलट, सैनिक और अन्य पेशों में रात में काम करते हैं तो महिलाओं को क्यों रोका जाए?
मुख्यमंत्री ने बताया बदलाव का बड़ा कदम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस नीति को दिल्ली को 24×7 बिजनेस हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती देगा और दिल्ली को व्यापारिक दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। यह प्रस्ताव अब उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है। सीएम रेखा ने कहा कि यह निर्णय कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने वाला साबित होगा। यानी दिल्ली सरकार के इस कदम से महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे।
कौन-कौन से प्रतिष्ठान होंगे शामिल?
नई नीति के तहत, रिटेल स्टोर, शोरूम, ब्यूटी सैलून, कॉल सेंटर, आईटी कंपनियों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को रात की शिफ्ट में महिलाओं को नियुक्त करने की अनुमति दी जाएगी। यह अनुमति पहले लागू धारा 14, 15 और 16 की पाबंदियों को हटाकर दी जा रही है। जो सर्दियों और गर्मियों में अलग-अलग समय के लिए महिलाओं के काम पर रोक लगाती थी। इससे महिलाओं के लिए जॉब के सीमित अवसर थे।
कर्मचारी हित में सख्त नियम
नई नीति के तहत नियोक्ताओं को ईएसआई, पीएफ, बोनस, ओवरटाइम और साप्ताहिक अवकाश जैसे सभी वैधानिक लाभ देने होंगे। वेतन का भुगतान केवल डिजिटल माध्यम से होगा। इसके अलावा, कार्यस्थलों पर POSH (Prevention of Sexual Harassment) एक्ट के तहत आंतरिक शिकायत समितियां भी अनिवार्य होंगी। पिक-अप और ड्रॉप प्वाइंट्स पर अच्छी रोशनी और सुरक्षा की व्यवस्था करना भी जरूरी होगा।
एक्सपर्ट्स ने दी प्रतिक्रिया
सेफ्टीपिन की सह-संस्थापक कल्पना विश्वनाथ ने इस नीति का स्वागत किया, लेकिन साथ ही आगाह किया कि इसका सफल क्रियान्वयन ही असली परीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन और सड़क सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने पुराने नियमों को पितृसत्तात्मक बताते हुए कहा कि यह बदलाव महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
इन राज्यों में पहले से लागू है नियम
दरअसल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और हरियाणा जैसे राज्य पहले ही महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे चुके हैं, लेकिन दिल्ली में यह नियम लागू नहीं था। इसके चलते महिलाओं के पास जॉब के सीमित अवसर थे। अब दिल्ली सरकार का यह कदम आईटी, बीपीओ और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा और व्यवसायिक माहौल को भी सशक्त बनाएगा। इससे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा नियम
अब यह प्रस्ताव उपराज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। एक बार मंजूरी मिलते ही, नाइट शिफ्ट में महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने वाले प्रतिष्ठानों को सरकार द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा और सुविधा मानकों का पालन करना होगा। साथ ही, इनके निरीक्षण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। जिससे सुनिश्चित हो सके कि यह फैसला जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू हो। यह कदम न केवल कानूनी रूप से बड़ा बदलाव है, बल्कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक निर्णायक पहल मानी जा रही है।