एनआईए सूत्रों ने बताया कि मोतीराम जाट पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तैनात थे। आतंकी हमले से पांच दिन पहले ही उनका दिल्ली तबादला हुआ था। इसी के बाद 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला किया गया। जिसमें करीब 28 पर्यटक मारे गए। आतंकियों ने सभी पर्यटकों को धर्म पूछकर मारा था। इससे यह आशंका भी जताई जा रही है कि उनके जरिए हुई जानकारी लीक का उस हमले से कोई संबंध हो सकता है। शनिवार को एनआईए के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया “हम 15 स्थानों पर तलाशी ले रहे हैं और बाद में आगे की जानकारी साझा करेंगे।”
कैसे हुई पाकिस्तान एजेंट्स से दोस्ती?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में सामने आया है कि मोतीराम जाट से पहले एक महिला ने संपर्क किया था। जो खुद को एक प्रसिद्ध टीवी चैनल की पत्रकार बताती थी। मोतीराम जाट से बातचीत में उसने खुद को चंडीगढ़ की रहने वाली बताया। इसके बाद कुछ समय तक दोनों के बीच मैसेजिंग और वीडियो कॉल के जरिए बातचीत होती रही और मोतीराम जाट ने महिला को गोपनीय जानकारी देनी शुरू कर दी। कुछ महीनों बाद एक अन्य शख्स ने उसी चैनल का पत्रकार बनकर जाट से संपर्क किया, लेकिन असल में वे दोनों पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के अधिकारी थे। इसके बाद मोती राम जाट ने कथित तौर पर पिछले दो सालों में पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को कई अहम जानकारियां दी हैं। इनमें पहलगाम आतंकी हमले के कुछ घंटों बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जम्मू-कश्मीर दौरा, 50 पर्यटन स्थलों का बंद होना, CRPF जवानों की आवाजाही और संख्या तथा आतंकियों के संदिग्ध ठिकानों की जानकारी भी मोतीराम जाट ने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ साझा की। इसके बदले में दोनों पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने मोतीराम जाट को हर महीने 3,500 रुपये और महत्वपूर्ण जानकारियों के बदले 12,000 रुपये देना शुरू किया था। यह पैसे मोतीराम जाट और उसकी पत्नी के बैंक खातों में भेजे जाते थे।
छह जून तक एनआईए की हिरासत में रहेगा CRPF अधिकारी
NIA प्रवक्ता के अनुसार, जाट 2023 से ही पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के संपर्क में था और उन्हें भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां भेज रहा था। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उसे 6 जून तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है। उसे सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया है। CRPF ने बताया कि जाट की सोशल मीडिया गतिविधियों पर केंद्रीय एजेंसियों की मदद से नजर रखी जा रही थी और उसी दौरान उसकी संदिग्ध गतिविधियों का पता चला। इस मामले में NIA के प्रवक्ता ने बताया “हमने शनिवार को 15 जगहों पर छापेमारी की है। मोतीराम जाट सक्रिय रूप से पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के संपर्क में था। हमें यह भी पता चला है कि वह विभिन्न माध्यमों से पीआईओ से धन प्राप्त कर रहा था। यह मामला बेहद संवेदनशील है और राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। आरोपी लंबे समय से जासूसी गतिविधियों में लिप्त था और गोपनीय जानकारी साझा कर रहा था।” CRPF ने भी कहा है कि आरोपी ने विभागीय नियमों का उल्लंघन किया और इसीलिए उसे सेवा से बर्खास्त किया गया।