पहले नहीं होता था ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ शब्द का इस्तेमाल
मेजर जनरल ए.जे.बी. जैनी ने कहा कि पहले सर्जिकल स्ट्राइक शब्द यूज नहीं होता था। दूसरी बात इस पर कोई सरकारी मोहर नहीं होती थी। ना कोई इजाजत लेता था। और ना ही इसपर कोई लिखित पढ़ित होती थी। इस पर ना कोई ज्यादा फीडबेक या रिपोर्टिंग होती थी। इसको पहले जवाबी हमला कहा जाता था। पहले कमांडो खुद सीमा पार जाकर दुश्मन को ठोककर आ जाते थे।
‘मैंने खुद 3 सर्जिकल स्ट्राइक की थीं’
मेजर जनरल जैनी का कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी हुआ करती थी, लेकिन अभी की तरह प्रचार प्रसार नहीं किया जाता था। न्यूज 24 से बातचीत के दौरान कहा, मैंने खुद 3 सर्जिकल स्ट्राइक की थीं, अब बस नाम बदल दिया गया है। पहले सेना अपने हिसाब से जवाब दिया करती थी। कोई सरकारी मोहर की जरूरत नहीं होती थी।
‘पांच को मारा, तीन को कुत्तों की तरह घसीटकर आए’
मेजर जैनी ने कहा कि एक बार बॉर्डर पर तैनात जवान को नींद आ गई थी, तो सीमा पार से आए लोगों ने उसकी मशीनगन छीन कर ले गए। जब हमारे ग्रुप को इसको बारे में पता चला तो हमने तय किया था कि यह बात पलटन से बाहर नहीं जानी चाहिए। बॉर्डर फेंसिंग में करंट बंद करवाकर हमारी टीम सीमा के पार गई। पांच को तो वहीं मारा, तीन को कुत्तों की तरह घसीटकर आए। ‘छाती ठोंक कर बोल रहा हूं मैंने की सर्जिकल स्ट्राइक’
आपको बता दें कि मेजर जैनी ने पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक्स को लेकर दावा कर चुके है। उन्होंने कहा था कि वह कई सर्जिकल स्ट्राइक में सक्रिय हिस्सा रहे थे। पहले भी न्यूज चैनल पर कहा था, छाती ठोंक कर बोल रहा हूं नवंबर 1971 में सर्जिकल स्ट्राइक मैंने की। सेक्टर पुंछ में, दुश्मन की सीमा में 8 किलोमीटर अंदर घुसकर। बकवास बंद करो कि पहले कभी सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। मेजर खान मेरे कंपनी कमांडर थे।