scriptजिस दिन उसने बंदूक उठाई…उसी दिन तय हो गई थी उसकी मौत, एनकाउंटर के बाद गांव की आंखों से छलका डर और दर्द: स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट | The sister of the slain terrorist said- this was the end of the path Asif was on | Patrika News
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जिस दिन उसने बंदूक उठाई…उसी दिन तय हो गई थी उसकी मौत, एनकाउंटर के बाद गांव की आंखों से छलका डर और दर्द: स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट

लड़के पढ़ाई करके आगे बढ़ते हैं, तो खुशी होती है। हथियार उठाना एक जाल है। एक बार जो इसमें फंसा, उसका समाज में वापस लौटना मुश्किल होता है। पढ़ें विकास सिंह की स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट…

भारतMay 19, 2025 / 08:30 am

Shaitan Prajapat

आतंकी आसिफ की बहन रिफत और रिपोर्टर विकास सिंह

Pahalgam Attack: ‘जिस दिन उसने हथियार उठाया, उसी दिन उसकी मौत लिखी जा चुकी थी’- ये कहना है जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आसिफ अहमद शेख की बहन रिफत का, जो एनकाउंटर वाली सुबह अपने भाई से आखिरी बार बात करना चाहती थी। ताकि वह उसको समझा पाती, लेकिन वक्त ने इतनी मोहलत नहीं दी। रिफत कहती हैं, जब उसने बंदूक उठाई, हमें पता था इसका अंजाम मौत ही होगा।

हम चाहते हैं कि घाटी के लड़के हथियार नहीं, कलम उठाएं…

नादेर (पुलवामा). दोपहर के 12 बजे थे, तारीख थी 16 मई। मैं पुलवामा जिले के त्राल-अवंतीपुरा के नादेर गांव में था। 15 मई को इसी गांव में 12 घंटे चले सेना के ऑपरेशन में तीन आतंकियों को ढेर किया गया था। मैं उस एनकाउंटर साइट पर पहुंचा, जहां तीनों आतंकवादी मारे गए थे। यहां दो महिलाएं हलीमा और सलीमा बैठी थीं। मैंने समझा उसी परिवार की हैं, लेकिन उन्होंने बताया, हम गांव के हैं। पहले बातचीत के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन परिचय के बाद कहा, हमारे भी बच्चे हैं। लडक़े पढ़ाई करके आगे बढ़ते हैं, तो खुशी होती है। हथियार उठाना एक जाल है। एक बार जो इसमें फंसा, उसका समाज में वापस लौटना मुश्किल होता है। इनका अंजाम देखने के बाद अपने बच्चों के बारे में सोचकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसी कौन मां होगी जो अपने जवान बेटे को गोलियों से छलनी होता देखना चाहेगी? ये लडक़े बहकावे में आकर घरवालों की बात नहीं मानते। जो इनके पीछे हैं, उन्हें जड़ से खत्म करना ही होगा, तभी यहां अमन और सुकून आएगा।

85 साल के मलिक मोहम्मद बोले- 35 साल से लाशें देख रहा हूं

85 साल के मलिक मोहम्मद लाठी के सहारे एनकाउंटर वाले घर के पास खड़े थे। उन्होंने लडखड़़ाती आवाज में कहा, “मैं 35 साल से इस घाटी में आतंकवाद और लडक़ों की लाशें देख रहा हूं। जो इसमें जाता है, उसका अंत यही होता है। ये लडक़े अपने हैंडलर के अलावा किसी की नहीं सुनते। वादियों में फिसलन बहुत है। एक बार फिसला, तो फिर उनके कदम किसी आतंकवादी शिविर की ओर ही जाते हैं।

हथियार उठाया, तभी जानते थे अंजाम

इसके बाद हमनें मुठभेड़ में मारे गए आतंकी आसिफ और आमिर नजीर वानी के परिवार से बात की। आमिर की मां का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें वह अपने बेटे को सरेंडर के लिए मना रही हैं। आमिर के परिवार ने बातचीत से मना कर दिया। रिफत कहा, आसिफ मेरा भाई था। जब उसने हथियार उठाया, तभी हमें पता था कि एक न एक दिन इसका अंजाम यही होने वाला है। लेकिन ये सच है, नए लडक़ों का भविष्य कलम तय करेगी, हथियार नहीं। मैं भी समझाने के लिए आसिफ से आखिरी बार बात करना चाहती थी, लेकिन सुरक्षा बलों ने खतरे का हवाला देकर मना कर दिया। रिफत का बड़ा भाई भी जेल में है। घर पर तीन बहनें हैं।

ऑपरेशन: 12 घंटे, 3 आतंकी ढेर, कोई कोलेटरल डैमेज नहीं

पुलवामा जिले के अवंतीपुरा-त्राल के नादेर गांव में 15 मई की सुबह 4 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। 42 राष्ट्रीय राइफल्स, पैरा स्पेशल फोर्स, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के तीन बड़े आतंकी, आसिफ शेख, आमिर नजीर वानी और यावर भट्ट को मार गिराया गया। सुरक्षा एजेंसियों को इन आतंकियों की सटीक लोकेशन की जानकारी लंबे समय से थी। मौका मिलते ही ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। खास बात यह रही कि ना कोई सिविलियन हताहत हुआ, ना ही किसी तरह की संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

घाटी में आतंक का ईकोसिस्टम खत्म करने के लिए कटिबद्ध : आईजीपी

आईजीपी कश्मीर विधि कुमार बिरदी ने कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्यवाई का एक पार्ट है। सुरक्षाबलों के आपसी ताल-मेल से यह संभव हो सका। वैली में टेरर इकोसिस्टम का द एंड करने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
जीओसी विक्टर फोर्स मेजर जनरल धनंजय जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि त्राल एनकाउंटर में सुरक्षा बलों ने बिना किसी नागरिक नुकसान के तीन खूंखार आतंकियों को मार गिराया। ऑपरेशन पूरी तरह इंटेलिजेंस-बेस्ड और सफल रहा।
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एक दिन पहले मिला सम्मान, अगले दिन देश के लिए बलिदान

कर्नल एम. एन. राय, 42 राष्ट्रीय राइफल्स के बहादुर और निडर कमांडिंग ऑफिसर थे। 26 जनवरी 2015 को उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया और अगले दिन 27 जनवरी को पुलवामा जिले में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में वह वीरगति को प्राप्त हो गए। इस यूनिट के जवान इन आतंकियों के एनकाउंटर को राय के सम्मान में श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं।

आतंकी नंबर 2 : आसिफ शेख

आसिफ, पुलवामा के त्राल-अवंतीपुरा क्षेत्र के मोंघामा गांव का निवासी था। पढ़ा-लिखा युवक था। कंप्यूटर साइंस में कोर्स किया था और जम्मू की एक अखरोट फैक्ट्री में नौकरी करता था। लेकिन अप्रेल 2022 में उसने जैश-ए-मोहम्मद जॉइन किया और 22 अप्रेल 2022 के सुंजवान आतंकी हमले में पहली बार उसका नाम सामने आया। जल्द ही वह संगठन का एरिया कमांडर बन गया।

परिवार भी संलिप्त, भाई जेल में

भाई: सेहराज अहमद शेख, सुंजवान हमले में संलिप्तता, फिलहाल पीएसए कानून के तहत जेल में बंद।
पिता: सरकारी टीचर, लेकिन आतंकियों से कथित संपर्क के कारण जांच के घेरे में।
चाचा: बुरहान शेख – मारा गया आतंकी।
तीन बहनें: रिफत, यस्मीना और रिहान। इनमें रिफत सबसे पढ़ी-लिखी है।

आतंकी नंबर 2: आमिर नजीर वानी

नाम: आमिर नजीर वानी
निवासी: खाशीपोरा, त्राल-अवंतीपुरा, जिला पुलवामा
संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
एक्टिव डेट: 24 अप्रेल 2024
मृत्यु: 15 मई 2025
भाई: उमर नजीर वानी (जुड़वां, आतंकी)
बहन: अरबिया जान

आतंकवादी नंबर 3: यावर अहमद भट्ट

नाम: यावर अहमद भट्ट
निवासी: नूरा जागीर
संगठन : जैश-ए-मोहम्मद
एक्टिव डेट: 24 अप्रैल 2024
मृत्यु: 15 मई 2025
बहन: उर्फी जान

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