क्या बोले शहबाज
शहबाज ने प्रिंस से बातचीत करते हुए कहा, “पाकिस्तान भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों, जैसे जम्मू-कश्मीर, सिंधु जल संधि, व्यापार और आतंकवाद पर बातचीत के लिए तैयार है। सऊदी अरब जैसे भाईचारे वाले देश इस वार्ता के लिए मध्यस्थता कर सकते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सऊदी अरब एक ऐसा तटस्थ स्थान हो सकता है, जहां दोनों देश शांति वार्ता शुरू कर सकते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हाल के वर्षों में आतंकवाद और सीमा पर तनाव के कारण बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने सऊदी अरब और अन्य देशों से युद्धविराम के लिए मध्यस्थता की मांग की थी।
प्रिंस की विदेश मंत्री एस. जयशंकर
पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार ने हाल ही में खुलासा किया था कि सऊदी प्रिंस फैसल बिन सलमान ने ऑपरेशन सिंदूर के 45 मिनट के भीतर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की थी, जिसके बाद युद्धविराम संभव हो पाया।
भारत का रुख
भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत में कहा था कि भारत-पाक सीजफायर दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई बातचीत का नतीजा था, जिसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
सऊदी अरब की भूमिका
सऊदी अरब ने पहले भी भारत-पाक तनाव को कम करने की कोशिश की है। शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब के साथ अपनी अटूट एकजुटता जताते हुए कहा कि वह क्षेत्रीय शांति के लिए सऊदी के साथ मिलकर काम करना चाहता है। शहबाज शरीफ का यह कदम पाकिस्तान की कूटनीतिक अलगाव और आर्थिक संकट के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश माना जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तब तक बातचीत के लिए तैयार नहीं होगा, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता।