नीतीश कुमार के हैं करीबी नेता
बता दें कि अशोक चौधरी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं। अशोक चौधरी ने अनुसूचित जाति श्रेणी के तहत यह पद हासिल किया है। BSUSC ने 274 उम्मीदवारों का चयन किया। अपना चयन होने पर अशोक चौधरी ने कहा कि उच्च शिक्षा के बाद उनकी इच्छा थी कि वे राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दें।
कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस ने इस नियुक्ति को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी का आरोप है कि यह नियुक्ति आरएसएस के प्रभाव का परिणाम है, जिसे अशोक चौधरी के एक बयान ने और हवा दी। चौधरी ने अपने दामाद सायन कुणाल की नियुक्ति को लेकर कहा था कि यह ‘आरएसएस कोटे’ से हुई है। इस बयान ने नीतीश कुमार की सेक्युलर छवि को कटघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि 58 साल की उम्र में नौकरी पाना, वह भी एक मौजूदा मंत्री के लिए, सामान्य प्रक्रिया नहीं लगती।
मामले पर चुप्पी साधे है नीतीश
विपक्ष का यह भी कहना है कि जब बिहार में लाखों युवा नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब एक वरिष्ठ मंत्री का इस तरह प्रोफेसर बनना सवाल उठाता है। दूसरी ओर, चौधरी के समर्थकों का तर्क है कि उनकी शैक्षणिक योग्यता और अनुभव इस पद के लिए उपयुक्त हैं। नीतीश सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, लेकिन यह विवाद बिहार की सियासत में नया रंग भर सकता है। राबड़ी सरकार में भी रह चुके हैं मंत्री
बता दें कि अशोक चौधरी राबड़ी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे बिहार में कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं। साल 2018 में कांग्रेस छोड़कर जदयू का दामन का दामन थाम लिया।