Nuclear Bomb Control: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान की रणनीति भ्रमित और अस्थिर नजर आई। शनिवार सुबह अचानक यह खबर आई कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) की बैठक बुलाई गई है, यह वही संस्था है जो देश की परमाणु नीति और हथियारों के संचालन से जुड़ी शीर्ष निर्णय लेने वाली इकाई है। इस खबर ने तुरंत ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी। माना जाने लगा कि पाकिस्तान अपनी परमाणु ताकत के इस्तेमाल पर गंभीरता से विचार कर रहा है। लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद सामने आकर सफाई दी। उन्होंने कहा—’ऐसी कोई बैठक बुलाई नहीं गई है, और परमाणु विकल्प फिलहाल किसी चर्चा में नहीं है।’
भारत और पाकिस्तान की परमाणु नीति और नियंत्रण ढांचे में बड़ा अंतर है। भारत में परमाणु हथियार के प्रयोग का बटन पीएम के हाथ में है, कागजों पर पाकिस्तान में भी यही है लेकिन वहां फौज हावी है। दोनों देशों की कमांड अथॉरिटी की तुलना:
भारत में किसके पास न्यूक्लियर बम का कंट्रोल
न्यूक्लियर कमांडर अथॉरिटी (एनसीए) संरचना: राजनीतिक परिषद नेतृत्व: प्रधानमंत्री निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था, परमाणु हथियारों के प्रयोग की अंतिम मंजूरी यहीं से मिलती है। कार्यकारी परिषद: नेतृत्व: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए)
कार्य: रणनीति तैयार करना और संचालन की सिफारिशें करना। प्रमुख सिद्धांत: नो फस्ट यूज (एनएफयू): भारत परमाणु हथियारों का पहला प्रयोग नहीं करेगा, लेकिन यदि उस पर हमला होता है तो वह भारी जवाबी हमला करेगा।
विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध: परमाणु हथियारों की उतनी ही संख्या और क्षमता रखी जाती है जिससे दुश्मन को हमले से रोका जा सके।
एम्प्लॉयमेंट कंटोल कमेटी (ईसीसी): नेतृत्व: प्रधानमंत्रीसैन्य और असैन्य नेतृत्व शामिल, परमाणु हथियारों के उपयोग का अंतिम निर्णय यहीं लिया जाता है।डवलपमेंट कंटोल कमेटी (डीसीसी): नेतृत्व: प्रधानमंत्री अनुसंधान, उत्पादन और तैनाती पर नजर रखती है। स्टेटैजिक प्लान डिवीजन (एसडीपी): नेतृत्व: लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी
परमाणु हथियारों की सुरक्षा, भंडारण और नियंत्रण के तकनीकी पहलुओं को देखती है। प्रमुख सिद्धांत:फस्ट यूज पॉलिसी : पाकिस्तान परमाणु हथियारों के पहले प्रयोग की नीति अपनाता है, खासकर जब पारंपरिक युद्ध में हार की आशंका हो।
पाक ने क्यों बुलाई थी नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक
खास बात यह रही कि यह खंडन ठीक उसी समय आया, जब अमरीका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बातचीत की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, रूबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी चर्चा की और दोनों देशों से शांति बनाए रखने और संवाद की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम पाकिस्तान की ‘मनोवैज्ञानिक रणनीति’ थी, जिसमें गीदड़भभकी और पीड़ित दिखने की कोशिश, दोनों साथ-साथ चलती हैं। पाकिस्तान जानता है कि वह पारंपरिक युद्ध में भारत के सामने टिक नहीं पाएगा। ऐसे में परमाणु हमले की अप्रत्यक्ष धमकी देकर वह दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहता है ताकि अमरीका या चीन जैसा कोई बड़ा देश बीच में आकर संघर्ष को रोके। एनसीए की कथित बैठक और फिर उसका इनकार इस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।