कुपवाड़ा, नवां गबरा और उरी सेक्टर के नांबला गांवों में हालात बदले हुए हैं। लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं। कोई मंदिर-मस्जिद में रुका है तो कोई किराए के मकानों में या रिश्तेदारों के पास पनाह ले रहा है। सब परेशान है। उनका एक ही सवाल है कि हालात कम ठीक होंगे।
कुपवाड़ा के कैरन गांव के पूर्व सरपंच राजा तस्लीम बताते हैं कि उनके घरों से सिर्फ 50 फीट दूर दुश्मन की पोस्ट है। अब रोज ही गोलीबारी हो रही है। गांव के ज्यादातर लोग जा चुके हैं, मजबूरी में कुछ बुजुर्ग रह गए हैं। हम भी सो नहीं पा रहे हैं। हर दिन मुश्किलें बढ़ रही है।
पीओके से सटे नवां गबरा गांव में किसान ग़ुलाम मुस्तफा मागरी का कहना है कि उनके गांव के 90 फीसदी लोग किसान हैं। वर्तमान में फसल तैयार है, लेकिन खेतों तक जाना खतरे से खाली नहीं है। गोलीबारी की वजह से कई बार रात का खाना तक नहीं बन पाता है। रातें बंकरों या मवेशियों के पास गुजरती हैं। ब्लैकआउट में जीने की आदत-सी हो गई है।
नांबला गांव के निवासी शाहिद उल इस्लाम ने पत्नी और सात माह के बेटे को श्रीनगर शिफ्ट कर दिया है, लेकिन माता-पिता मवेशियों के कारण गांव में ही रह रहे हैं। वो बताते हैं कि आसपास के कई गांवों में लोग गोलीबारी की चपेट में आए हैं। सबके चेहरे पर डर साफ नजर आता है। कई लोगों के घरों को इन दिनों गोले गिरने से काफी नुकसान हुआ है। यहीं हालात रहे तो, स्थिति और चिंताजनक हो जाएगी।