हैदराबाद पुलिस ने रेजिमेंटल बाजार स्थित यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर में रविवार को छापा मारा था। इसकी मैनेजर डॉ. नम्रता हैं। यह कार्रवाई एक परेशान दंपती की शिकायत पर की गई थी।
गड़बड़ी सामने आते ही पुलिस के पास पहुंच गए दंपती
उन्होंने डीएनए जांच के जरिए यह पाया था कि क्लिनिक द्वारा आयोजित सरोगेट से पैदा हुआ बच्चा आनुवंशिक रूप से उनसे संबंध नहीं रखता है। इस मामले में पुलिस ने कहा कि मामले का पर्दाफाश करने के लिए एक अभियान चलाया गया था। जांच के दौरान अवैध सरोगेसी और शुक्राणु तस्करी रैकेट का पता चला। जो अंतर-राज्यीय स्तर पर चल रहा था।
राजस्थान के दंपती के साथ सिकंदराबाद में धोखा
बता दें कि राजस्थान के एक दंपत्ति सिकंदराबाद में रहते हैं। उनके साथ सरोगेसी के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया। जब उन्होंने पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, तब रैकेट का खुलासा। उन्होंने पिछले साल सरोगेसी प्रक्रिया के लिए क्लिनिक को 35 लाख रुपये का भुगतान किया था। इस साल बच्चे के जन्म के बाद, दंपती बार बार डीएनए जांच के लिए डॉ. नम्रता से अनुरोध करते रहे, लेकिन वह तैयार नहीं हुईं।
दिल्ली में कराया था डीएनए टेस्ट
इसके बाद दंपती ने दिल्ली में स्वतंत्र रूप से बच्चे का डीएनए परीक्षण कराया। परिणामों ने उनकी सबसे बड़ी आशंकाओं की पुष्टि की। बच्चे का उनसे कोई आनुवंशिक संबंध नहीं था। जून में, जब डीएनए साक्ष्यों का प्रस्तुत किया गया, तो डॉ. नम्रता ने ‘गड़बड़ी’ की बात स्वीकार की। इस मामले को सुलझाने के लिए समय मांगा। हालांकि, वह फिर लापता हो गईं, जिसके बाद दंपती ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए, यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर पर देर रात छापामारी की। सुबह तक कर्मचारियों से पूछताछ हुई। कार्रवाई के दौरान, महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्तकिए गए और शुक्राणु के नमूने फोरेंसिक जांच के लिए सुरक्षित रखे गए।
जांच के बाद से एक बड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क का खुलासा हुआ है। यह पता चला कि क्लिनिक गुजरात और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में शुक्राणुओं और अंडों के अवैध संग्रह और परिवहन में शामिल था। यह फर्टिलिटी सेंटर इंडियन स्पर्म टेक नामक एक गैर-लाइसेंस प्राप्त फर्म के साथ सांठगांठ करता पाया गया।
इसके बाद पुलिस ने इंडियन स्पर्म टेक के रीजनल मैनेजर पंकज सोनी के साथ संपत, श्रीनु, जितेंद्र, शिवा, मणिकांठा और बोरो नाम के छह अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
जांच में क्या पता चला?
डीसीपी रश्मि पेरुमल ने बताया कि डॉ नम्रता ने पीड़ित दंपती से सरोगेसी सेवाओं के लिए 35 लाख रुपये से ज्यादा की रकम वसूली थी। यह भी पता चला कि एक महिला को प्रसव के लिए हैदराबाद से विशाखापत्तनम हवाई जहाज से लाया गया था, जहां डॉ. नम्रता ने दंपती को यह विश्वास दिलाया था कि इस महिला से पैदा हुआ बच्चा सरोगेसी के जरिए उनका है। जांच में यह पता चला कि डॉ. नम्रता ने गरीब लोगों को भी सरोगेसी के जरिए काम करने के लिए बहलाया था।