राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 30 हजार नाबालिग अपराध के मामले सामने आते हैं और 35 हजार से अधिक गिरफ्तारियां होती हैं। इनमें से 90 प्रतिशत पर दोष साबित होता है। हालांकि, कुल अपराधों में नाबालिगों का हिस्सा एक प्रतिशत से भी कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक-आर्थिक समस्याएं और पारिवारिक मुद्दे इस समस्या के प्रमुख कारण हैं। इसमें मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिस्थितियां शामिल हैं जो एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं, जिससे विशेष व्यवहार होता है।
तीन साल में 90 से अधिक को भेजा न्यायिक हिरासत में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में लगाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि वर्ष 2021 से 2023 तक प्रदेश में कुल 93 नाबालिग बच्चों को अपराधों में शामिल होने पर न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इसमें सबसे ज्यादा 36 अकेले जयपुर जिले के हैं। इससे यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नाबालिग बच्चे किस प्रकार अपराधों की गिरफ्त में आ रहे हैं।
बच्चों का इस्तेमाल कर रहे बदमाश पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मादक पदार्थों की तस्करी सहित अन्य अपराधों में मुख्य सरगना बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं। किशोर अवस्था में बच्चे चकाचौंध भरी दुनिया की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, जिसका फायदा उठाकर अपराधी बच्चों से क्राइम करवाते हैं। अपराधी, बच्चों को महंगे मोबाइल, महंगे कपड़े व महंगी मोटरसाइकिल का लालच देकर अपराध की दुनिया में फंसा देते हैं। कई बच्चों को नशे की लत भी लगा देते हैं, शराब सिगरेट, गांजा, ड्रस आदि का सेवन उनके मानसिक और नैतिक विकास को प्रभावित करता है। नशे में वे अपने कृत्यों का अंदाजा नहीं लगा पाते और अपराध कर बैठते हैं।
बच्चों का ध्यान रखना हम सब की जिम्मेदारी हां, यह सही है कि आजकल नाबालिग बच्चे अपराध के दलदल में फंसते जा रहे हैं। इसको रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ समाज की भी है। परिजनों के साथ स्कूल व कोचिंग संचालकों को भी बच्चों पर नजर रखनी होगी। बच्चा किसके साथ आ-जा रहा है, उसके पास मोबाइल कौनसा है, कौनसी बाइक चला रहा है, स्कूल या घर लेट तो नहीं आ रहा है। यदि हम इन बातों का ध्यान रखेंगे तो बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से रोक सकते हैं।
– वेदपाल शिवरान, थानाधिकारी, कोतवाली थाना, नागौर एक्सपर्ट कमेंट : किशोरों में अपराध दर बढऩे के कई कारण किशोरों में अपराध दर बढऩे के कई कारण हैं। बचपन से ही बच्चे के घर का माहौल, उसका पालन पोषण, इन सबका बच्चे के व्यवहार, उसके ज़िंदगी की समस्याओं से सामना करने के तरीके सब पर असर आता है। माता-पिता का बच्चों पर ध्यान न देना, जरूरत से ज्यादा सख्ती या पूरी छूट देना, बच्चों में अनुशासन की कमी पैदा करता है। इससे वे गलत फैसले लेने लगते हैं और अपराध की ओर बढ़ सकते हैं। यदि घर में ही झगड़े, हिंसा या अपराध का माहौल हो, तो बच्चा वही व्यवहार सीखता है। ऐसे वातावरण में पला-बढ़ा किशोर अपराध की ओर ज्यादा झुक सकता है। दूसरा प्रमुख कारण हैं, किशोरों में बढ़ती नशे की लत। किशोर अवस्था में बच्चे आसानी से नशे की चपेट में आ जाते हैं। सोशल मीडिया, वेब सीरीज और फिल्मों में अपराधियों को स्टाइलिश और ताकतवर दिखाया जाता है। इससे युवा प्रभावित होते हैं और उन्हें अपना आदर्श मानने लगते हैं, जिससे वे भी अपराध की राह पकड़ लेते हैं।
– डॉ. राधेश्याम रोझ, मनोचिकित्सक, जेएलएन राजकीय जिला अस्पताल, नागौर