इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने वाली बाल रोग सर्जन डॉ. उषा गजभिये ने बताया कि बच्ची को तकरीबन 20 दिन पहले अस्पताल लाया गया था। उसे पिछले पांच-छह महीनों से उल्टी, भूख न लगना और वजन कम होना जैसी दिक्कतें थी। मेडिकल जांच और काउंसलिंग के बाद यह पता चला कि बच्ची को लंबे समय से बाल खाने की आदत (Hair Eating Habit) थी।
पेट में बालों की गेंद बन गई थी
डॉ. गजभिये ने बताया कि मेडिकल जांच में साफ हुआ कि बच्ची के पेट में बालों का एक बड़ा गुच्छा जमा हो चुका था, जो देखने में एक गेंद की तरह लग रहा था। जो भोजन को पचाने और भूख लगने में रुकावट पैदा कर रहा था। उन्होंने कहा, हमने तुरंत सर्जरी का निर्णय लिया और ऑपरेशन के दौरान बच्ची के पेट से करीब 500 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला गया। यह देखकर सभी डॉक्टर भी हैरान रह गए।
बच्ची हुई स्वस्थ
डॉक्टरों द्वारा की गई सर्जरी सफल रही है और अब बच्ची ठीक से खाना खा पा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, उसे अब किसी तरह की समस्या नहीं है और जल्द ही उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। यह मामला न सिर्फ मेडिकल बल्कि मनोवैज्ञानिक नजरिए से भी अहम है। इस मामले में बच्ची की बाल खाने की आदत को ट्राइकोफैगिया (Trichophagia) कहा जाता है, जो एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें शख्स अपने ही बाल खाने लगता है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर बच्चे के व्यवहार में कुछ असामान्य दिखाई दे, जैसे बाल खाना, नाखून चबाना, या चीजें निगलना तो उसे नजरअंदाज न करें। समय रहते मनोवैज्ञानिक परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है।