दो बार हुई सदन की कार्यवाही स्थगित
सदन में लगातार हंगामे और नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी, लेकिन इसके बाद भी हालात नहीं बदले जिसके चलते रहे सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने बताया कि विपक्ष के 28 सांसदों ने उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं। इस नियम के तहत सदन के अन्य सभी कार्यों को स्थगित करके दिए गए विषयों पर चर्चा कराई जाती है और इसके अंत में वोटिंग का भी प्रावधान होता है।
इन सांसदों ने उठाई मांग
विपक्षी सांसदों ने एसआईआर, अमेरीका द्वारा भारत पर लगाया गए 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माने के दुष्प्रभाव, ओड़िशा में महिलाओं और बच्चों से उत्पीड़न, बंगाली कामगारों के साथ दूसरे राज्यों में दुर्व्यवहार, छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी और उपराष्ट्रपति धनखड़ के अचानक इस्तीफे जैसे मुद्दों पर तुरंत चर्चा करने की मांग उठाई थी। यह मांग सुलता देव, शुभाशीष खुटिया, शशमित पात्रा, रेणुका चौधरी, नीरज डांगी, राजीव शुक्ला व साकेत गोखले, संतोष कुमार पी और वी शिवादासन और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों समेत कई विपक्षी सांसदों ने उठाई थी।
उपसभापति ने की अस्वीकार
राज्यसभा के उपसभापति ने इन सभी चर्चा की मांगों को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ये नोटिस आसन द्वारा पूर्व में दी गई व्यवस्था के अनुरूप नहीं है, इस्लिए इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। उपसभापति द्वारा चर्चा की अनुमति न मिलने के उपरांत विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की और वे अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक और फिर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।