बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि यह मुद्दा सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है और सभी उम्र के लोगों को इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। इसलिए जो लोग सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना डालते हैं, उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया जाए।
अदालत ने बीएमसी को शहर के कबूतरखानों में कबूतरों के जमावड़े को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने और सख्त उपाय लागू करने का भी निर्देश दिया। यह फैसला 30 जुलाई को उस याचिका की सुनवाई के दौरान आया जिसे पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसरारिया और सविता महाजन की ओर से दायर किया था।
याचिकाकर्ताओं ने बीएमसी द्वारा शहर के कबूतरखानों पर की जा रही कार्रवाई को ‘पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम’ का उल्लंघन बताया था और तत्काल ईस पर रोक लगाने की मांग की थी। इससे पहले, 3 जुलाई को इसी मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने बीएमसी को किसी भी ऐतिहासिक कबूतरखाने को नहीं ध्वस्त करने का आदेश दिया था, लेकिन यह भी साफ कर दिया था कि वहां कबूतरों को दाना खिलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मुंबई शहर में 51 ‘कबूतर खाने’ यानी दाना डालने की जगह हैं। इसके बाद दादर का मशहूर ‘कबूतर खाना’ बंद कर दिया गया। जबकि सांताक्रूज पूर्व और दौलत नगर तथा सांताक्रूज पश्चिम में अनधिकृत ‘कबूतर खाने’ भी बंद कर दिए गए हैं।
गौरतलब हो कि इसी महीने महाराष्ट्र सरकार ने कबूतरों की बीट के कारण स्वास्थ्य को होने वाले खतरे का हवाला देते हुए बीएमसी को मुंबई में कबूतर खानों को तुरंत बंद करने का आदेश दिया था। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि ‘कबूतर खाने’ उसके आस-पास रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं क्योंकि उनकी बीट और पंख सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं।