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मुंबई

गाजा के समर्थन में प्रदर्शन करना चाहती थी माकपा, बॉम्बे HC ने लगाई फटकार, कहा- अपने देश के मुद्दे उठाओ

Bombay High Court: हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि माकपा जिस मुद्दे पर प्रदर्शन करना चाहती है वह विदेश मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। खासकर तब जब माकपा की राय भारत सरकार की नीति से मेल नहीं खाती।

मुंबईJul 25, 2025 / 05:15 pm

Dinesh Dubey

Bombay High Court on CPIM

भारत में रहकर फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाना देशभक्ति नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा गाजा में इजरायल द्वारा कथित नरसंहार के विरोध की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले अपने देश के नागरिकों के मुद्दे उठाकर देशभक्ति दिखानी चाहिए, ना कि विदेश के मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप करना चाहिए।

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न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ ने कहा, “हमारे देश के पास पहले से ही कई समस्याएं हैं। हमें ऐसे मुद्दों की ज़रूरत नहीं है जो सीधे तौर पर हमारे नागरिकों से जुड़े नहीं हैं… आप गाजा और फिलिस्तीन की चिंता कर रहे हैं, लेकिन अपने देश के लिए क्या कर रहे हैं? पहले अपने देश के मुद्दों पर बोलिए, यही असली देशभक्ति है।”
माकपा (CPIM) की ओर से दलील देते हुए सीनियर अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि माकपा ने देश में स्वास्थ्य और शिक्षा के कई मुद्दों पर काम किया है। यह याचिका केवल मुंबई के आजाद मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति को लेकर है। उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से जोड़ते हुए कहा कि पार्टी का यह विरोध भारत की विदेश नीति या किसी सैन्य ऑपरेशन से संबंधित नहीं है।

हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

हालांकि अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि इस तरह के बाहरी मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करने से भारत की विदेश नीति पर असर पड़ सकता है। खासकर तब जब याचिकाकर्ता की राय भारत सरकार की नीति से मेल नहीं खाती।
न्यायमूर्ति घुगे ने कहा, “फिलिस्तीन या इजरायल का पक्ष लेना भारत सरकार का काम है। आप ऐसा मुद्दा क्यों उठाना चाहते हैं जिससे देश को किसी एक पक्ष का समर्थन करने की स्थिति में ला दिया जाए? आप नहीं जानते कि इससे कितनी कूटनीतिक गड़बड़ी हो सकती है।“
अदालत ने यह भी कहा कि देश में कई संविधानिक मुद्दे और आम नागरिकों की समस्याएं पहले से लंबित हैं। गाजा और इजरायल हजारों मील दूर लड़ रहे हैं और आप यहां चिंता जता रहे हैं। जबकि यह मामला हमारे आम नागरिकों से जुड़ा ही नहीं है, तो हम क्यों इस पर समय बर्बाद करें? हमारे पास सुनवाई के लिए सैकड़ों मामले हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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