मुरैना. जिले छह स्टेडियम के निर्माण व मरम्मत के नाम पर 20 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है फिर भी खिलाडिय़ों के लिए एक भी स्टेडियम इन दिनों खेलने योग्य नहीं हैं। ग्रामीण अंचल की स्टेडियम बनने के बाद रखरखाव के अभाव में जर्जर पड़ी हैं, वहीं जिला मुख्यालय पर स्टेडियम में दो साल से मरम्मत का कार्य चल रहा है, जो पूरा नहीं हो सका है, मजबूरन खिलाडिय़ों को तैयारियों के लिए पलायन करना पड़ रहा है।
खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य शासन ने जिला पंचायत को बजट भेजा था, जिला पंचायत ने आरईएस को निर्माण एजेंसी बनाया। जिले की प्रत्येक विधानसभा में 80-80 लाख रुपए में स्टेडियम निर्माण के लिए राशि आई थी। उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाएं इन मैदानों में अभ्यास कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मुरैना का नाम रोशन कर सकें। जौरा, सबलगढ़, अंबाह, दिमनी विधानसभा में स्टेडियम का निर्माण कराया गया जबकि सुमावली व मुरैना में निर्माण का प्रस्ताव निरस्त हो गया था। राशि वर्ष 2016 में आई थी लेकिन स्टेडियम का निर्माण वर्ष 2020 तक बनकर तैयार हुए। जिन स्थानों पर स्टेडियम का निर्माण कराया गया, वह जर्जर हाल में हैं। जब से बनी हंैं, तब से उनमें सुविधाएं नहीं जुटाई जा सकी हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि गेट, खिडक़ी, पंखे सहित अन्य सामान चोरी हो चुका है, शौचालय, बाउंड्री क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। सुविधाजनक रूम टूट-फूटकर कंडम हो चुके हैं। वहीं मैदान में जगह-जगह झाडिय़ां उग आई हैं, उनमें गोवंश व पशु विचरण कर रहे हैं।
जानिए, किस स्टेडियम की क्या है स्थिति
किशनपुर: दिमनी विधानसभा क्षेत्र के किशनपुर गांव में स्टेडियम का निर्माण कराया गया। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं हैं। स्टेडियम का मुख्य गेट टूट चुका है। अंदर बने लेट-बाथ की शीट्स व अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो चुका है। स्टेडियम में न ट्रैक और न मैदान तैयार किया गया है, आज भी ऊबड़-खाबड़ मैदान में जगह-जगह झाडियां उग आई हैं।
शाहपुरा: अंबाह विधानसभा के अंर्तगत पोरसा कस्बे से पांच-छह किमी दूर खोयला पंचायत के शाहपुरा गांव में बनी स्टेडियम देखरेख के अभाव में वीरान पड़ा रहता है, यहां खेल गतिविधियों के नाम पर आज तक कोई मैच नहीं हो सका है। न ट्रैक और न खेल मैदान तैयार किया गया है। आज भी जर्जर हालत में हैं। स्टेडियम के अंदर शौचालय, कमरो का फर्स, खिडक़ी क्षतिग्रस्त हालत में हैं।
अगरौता: जौरा विधानसभा मुख्यालय से छह किमी दूर अगरौता गांव में स्टेडियम का निर्माण कराया गया था। यह जौरा कस्बे से काफी दूर है इसलिए खिलाडिय़ों को इसका लाभ नहीं मिल सका। वर्तमान में स्टेडियम पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसमें अक्सर आवारा गोवंश विचरण करता रहता है। जिससे पूरी स्टेडियम जर्जर हालत में हैं। यहां खिडिकय़ों के गेट, सीडिय़ां, पर्स क्षतिग्रस्त हो चुका है।
पासौनकला: सबलगढ़ विधानसभा मुख्यालय से 5 किमी दूर पासौनकलां गांव में स्टेडियम का निर्माण कराया गया था। इसमें अक्सर आवारा गौवंश व सांड़ विचरण करते रहते हैं। यहां स्टेडियम के अंदर के बने कक्षों के फर्स उखड़ चुके हैं, खिड़कियों के किबाड़, शौचालय की सीट टूट चुकी हैं। रख रखाव के अभाव में स्टेडियम पूरी तरह जर्जर हो चुकी है।
खजूरी: अंबाह कस्बे में खजूरी पर 2 करोड़ 75 लाख रुपए खर्च होने के बाद भी स्टेडियम खेलने योग्य नहीं हो सका है। इसका निर्माण खेल एवं युवक कल्याण विभाग की देखरेख में कराया जा रहा है। आज भी स्टेडियम का निर्माण अधूरा है। इसको 95 लाख रुपए से बनाया गया था। इसके बाद 2 करोड़ रुपए से बाउंड्रीवाल और ट्रैक बनाया गया। लेकिन इसमें कबड्डी, खो-खो बॉलीबॉल के खेल मैदान नहीं बने।
मुरैना: इधर जिला मुख्यालय की स्टेडियम में पिछले दो साल से मरम्मत का कार्य चल रहा है। शासन से 11.39 करोड़ रुपए मरम्मत के लिए आया था। यहां नए सिरे से ट्रैक सहित अन्य मरम्मत के कार्य कराए जा रहे हैं लेकिन कार्य मंद गति से हो रहा है इसलिए अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसके चलते खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
खिलाड़ी बोले: मजबूरन करना पड़ा पलायन
मैं 800 व 1500 मीटर दौड़ में नेशनल स्तर पर पार्टिसिपेट कर चुका हैं लेकिन मुरैना में दो साल से स्टेडियम खुदा पड़ा है इसलिए तैयारी नहीं हो पा रही थी इसलिए मजबूरन शहर छोडऩा पड़ा, इन दिनों भोपाल में रहकर तैयारी कर रहा हूं।
मंगल सिंह बघेल, नेशनल प्लेयर, एथलेटिक्स
मैं 3 किमी व 5 किमी दौड़ में नेशनल स्तर पर पार्टीसिपेट कर चुका हूं। लेकिन मुरैना में खेल मैदान न होने पर तैयारी नहीं हो पा रही थी, इसलिए शहर छोडऩा पड़ा। इन दिनों भोपाल में रहकर तैयारी करनी पड़ रही है। मेरे जैसे कई खिलाड़ी हैं जो मजबूरन मुरैना से पलायन कर चुके हैं।
लकी यादव, नेशनल प्लेयर, एथलेटिक्स
प्रशिक्षकों के अभाव में पलायन कर रही हैं प्रतिभाएं
जिले में स्टेडियम तो बने लेकिन बजट के रखरखाव के लिए बजट नहीं मिला, इसलिए जर्जर हो चुके हैं। प्रशिक्षकों की तैनाती नहीं की गई। जिले में दर्जनों खिलाड़ी नेशनल व स्टेट खेल चुके हैं, रिहर्सल के अभाव में बाजी नहीं मार सके, उन खिलाडिय़ों के लिए अभ्यास के लिए जिले में खेल मैंदान नहीं हैं, इसलिए मजबूरन उनको पलायन करना पड़ रहा है अर्थात तैयारी के लिए शहर से बाहर जाना पड़ रहा है।
दिनेश बंसल, सेवानिवृत्त क्रीड़ा अधिकारी
स्टेडियमों की मरम्मत के लिए बजट और प्रशिक्षकों की तैनाती के लिए शासन को पत्र लिखेंगे। स्वाभाविक हैं, प्रशिक्षक तैनात होगा तो स्टेडियम की देखभाल भी हो सकेगी और खिलाडिय़ों को तैयारी का मौका भी मिलेगा।
कमलेश भार्गव, सीईओ, जिला पंचायत
यह बात सही है कि स्टेडियम में दो साल से मरम्मत का काम चल रहा है, इसलिए खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं लेकिन लगभग कार्य समापन की ओर है, जल्द स्टेडियम तैयार हो जाएगा।
प्रशांत कुशवाह, खेल अधिकारी, खेल एवं युवक कल्याण विभाग
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