मुरैना. जिले की 500 से अधिक पंचायतों में 3500 से अधिक मजरा टोला हैं, इनमें से दर्जनों मजरा टोलों में सुव्यवस्थित मुक्तिधाम नहीं हैं। कहीं मुक्तिधाम तक पहुंचने के रास्ते अतिक्रमण की चपेट में है तो कहीं मुक्तिधाम में टीनशेड नहीं है। कुछ के टीनशेड जर्जर हालत में हैं। ऐसे में बारिश के मौसम में अंतिम सफर भी कठिन हो जाता है। लोगों को बारिश के दौरान कहीं तिरपाल लगाकर तो कहीं खुले आसमां के नीचे परिजनों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।
मनरेगा में हर साल करोड़ों का बजट आता है। इनमें से ही पंचायतों में मुक्तिधाम निर्माण के लिए राशि रहती है। इस राशि से मुक्तिधाम में टीनशेड, पक्की सीसी रोड, चबूतरे बनाए जा सकते हैं लेकिन प्रशान व पंचायत के जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते मुक्तिधाम का निर्माण तो दूर मरम्मत तक नहीं हो पा रही है। अभी हाल ही में कुछ पंचायतों में मुक्तिधाम में टीनशेड न होने पर त्रिपाल लगाकर अंतिम संस्कार करने के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कुछ पंचायतों में दबंगों द्वारा रास्ते व मुक्तिधाम की जमीन पर अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में गांव में होने वाले विवादों से बचने के लिए स्थानीय सरपंच-सचिव भी हस्तक्षेप करने से नहीं चूकते। गंभीर बात यह है कि बारिश के सीजन में हर साल मुक्तिधाम न होने की वजह से खुले में अंतिम संस्कार की खबरें आती हैं फिर भी जिलास्तर पर बैठे अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
इन क्षेत्रों में मुक्तिधाम के हालात ज्यादा खराब
जिले में यूं तो हर पंचायत में मुक्तिधाम होने का दावा प्रशासन कर रहा है लेकिन अंबाह विकासखंड के ऐसाह, खडिय़ाहार, कुथियाना, बडफऱा पंचायतों में मुक्तिधाम न होने पर लोगों को खुले में अंतिम संस्कार करना पड़ता है। इसके अलावा पहाडगढ़़ में तीन मुक्तिधाम हैं, इनमें से एक का टीनशेड जर्जर हालत में हैं, वहीं दो पर टीनशेड नहीं हैं। शहर से चार किमी दूर स्थित देवरी पंचायत में मुक्तिधाम नहीं होने पर लोग मजबूरन क्वारी नदी किनारे अंतिम संस्कार करते हैं।
मुक्तिधाम के लिए शासन से जारी राशि
मुक्तिधाम निर्माण के लिए अलग से शासन से राशि जारी नहीं होती हैं। इनका निर्माण मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों को मिलने वाली राशि से ही किया जाता है। अभी हाल ही में शासन से मनरेगा के तहत जिला पंचायत को 160 करोड़ की राशि मिली है। उक्त राशि को जिला पंचायत के अधिकारी अपने हिसाब से पंचायतों को दे रहे हैं। इसी राशि से ही पंचायत के जिम्मेदार मुक्तिधाम का निर्माण करते हैं। यह तब तय होता है कि जब ग्राम पंचायत से प्रस्ताव जिला पंचायत को भेजा जाता है।
बिना कार्य कराए कहां निकाली राशि
जिले के पहाडगढ़़ विकासखंड की करीब दस पंचायत व उनके मजरे ऐसे हैं जिनमें मुक्तिधाम नहीं बनाए गए हैं लेकिन जिम्मेदारों ने राशि खुर्द बुर्द कर दी है। पहाडगढ़़ विकासखंड की कन्हार, पहाडगढ़, धोंधा, कन्हार, जड़ेरू, कहारपुरा आदि पंचायत व उनके मजरों में मुक्तिधाम नहीं हैं। जहां बने हैं, वह जर्जर हालत में हैं। इसी तरह पोरसा के विजयगढ़ सहित करीब पांच पंचायत ऐसी हैं, जहां राशि निकाली जा चुकी है लेकिन मुक्तिधाम नहीं बने हैं।
हमारे गांव में अभी तक मुक्तिधाम नहीं था, अभी तक खुले में अंतिम संस्कार करने को मजबूर थे, अब काम शुरू हो गया है।
राहुल तोमर, ऐसाह
हमारे गांव में मुक्तिधाम नहीं हैं, अंतिम संस्कार के बहुत परेशानी होती है। खासकर बारिश के समय तो ग्रामीण त्रिपाल लगाकर अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं।
शैलू तोमर, खडिय़ाहार
हमारे गांव में मुक्तिधाम नहीं बना हैं। इसलिए मजबूरन ग्रामीणों को अपने परिजन का अंतिम संस्कार गांव से दूर चंबल के बीहड़ में करना पड़ता है।
छबिराम अवस्थी, ल्हौरी का पुरा
पंचायत प्रतिनिधियों से चर्चा
खिरेंटा पंचायत में सात मजरा टोला पड़ते हैं। एक मजरा नयागांव में मुक्तिधाम का निर्माण कराया जा रहा है, बारिश के चलते टीनशेड लगाना रह गया है, उसको पूरा कर रहे हैं।
महेश तोमर, सचिव, ग्राम पंचायत, खिरेंटा
ऐसाह पंचायत में अभी तक मुक्तिधाम नहीं था लेकिन अब निर्माण कराया जा रहा है। जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
देवेन्द्र शर्मा, सचिव, ग्राम पंचायत, ऐसाह
जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा
मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों को बजट दिया गया है। फिर भी अगर मुक्तिधाम नहीं बनाया गया है या मरम्मत नहीं कराई गई है, हम चेक कराएंगे, संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कमलेश भार्गव, सीईओ, जिला पंचायत, मुरैना
ज्यादातर ग्राम पंचायतों में मुक्तिधाम का निर्माण कराया जा चुका है, कुछ में काम चल रहा है, जिनके टीनशेड टूटे हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी।