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मुरैना

उसैद घाट पर कीचड़ से होकर गिरते-फिसलते स्टीमर तक पहुंचे यात्री

कीचड़ और अव्यवस्थाओं के बीच चंबल घाट पर शुरू हुआ स्टीमर संचालन, बाढ़ के चलते चंबल नदी में 15 दिन से बंद था स्टीमर संचालन

मुरैनाAug 07, 2025 / 04:48 pm

Ashok Sharma

मुरैना. उसैद-पिनाहट घाट पर चंबल नदी का जलस्तर कम होने के बाद करीब 15 दिनों बाद बुधवार से स्टीमर का संचालन फिर से शुरू हुआ। बीते सप्ताह चंबल नदी में अचानक पानी बढऩे से जलस्तर 131 मीटर तक पहुंच गया था। इसके बाद पिनाहट पीडब्ल्यूडी विभाग ने स्टीमर का संचालन बंद कर दिया था। अब जलस्तर 117.50 मीटर तक कम होने पर स्टीमर सेवा फिर शुरू किया गया है। जिससे स्थानीय लोगों और यात्रियों को राहत मिली है। हालांकि, संचालन शुरू होने के बावजूद घाट पर अव्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं।
नदी के दोनों किनारों पर कीचड़ और दलदली रास्ते लोगों की परेशानी का कारण बन रहे हैं। यात्रियों को कीचड़ भरे और फिसलन वाले रास्तों से गुजरकर स्टीमर तक पहुंचना पड़ रहा है, जिससे गिरने और चोट लगने का खतरा लगातार बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि घाट की साफ-सफाई कराई जाए और यात्रियों की सुविधा के लिए मजबूत व सुरक्षित रास्तों का निर्माण कराया जाए। बिना सुविधाओं के संचालन शुरू करना महज औपचारिकता ही साबित हो रहा है। प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह यात्रा जोखिमभरी बन गई है। यात्रियों को राहत तभी मिलेगी जब घाट की दुर्दशा पर ध्यान दिया जाएगा। पिनाहट उसैथ घाट पर स्टीमर संचालन पीडब्ल्यूडी विभाग की देखरेख में निजी ठेकेदारों द्वारा किया जाता है। यहां यात्रियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। पिनाहट उसैथ घाट से प्रतिदिन लगभग 5 हजार लोग आवागमन करते हैं। बारिश के मौसम में यहां स्टीमर के जरिए लोग नदी पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। इस घाट का उपयोग मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग करते हैं। स्टीमर सेवा शुरू होने से तीनों राज्यों के नागरिकों को लाभ मिलेगा।

पहुंच मार्ग दलदल में तब्दील

चंबल नदी के उसैथ-पिनाहट घाट पर बारिश से दलदल और फिसलन पैदा हो गई है। स्टीकर तक पहुंचने में यात्रियों को भारी समस्या हो रही है। स्टीमर तक पहुंचने का कच्चा रेतीला रास्ता परेशानी का सबब बना हुआ है। बारिश से दलदल बने रास्ते में यात्रियों सहित कावडयि़ों को निकलने में समस्या आ रही हैं।

बिना सुरक्षा उपकरण के नदी पार कर रहे लोग

इस दौरान यात्री बिना किसी सुरक्षा उपकरण, लाइफ जैकेट पहने वगैर स्टीमर पर सवार रहते हैं। लोगों की इतनी भीड़ रहती है कि स्टीमरों पर पैर रखने भर के लिए भी जगह नहीं बचती है।फिर भी लोग मजबूर होकर नदी पार करने के लिए जान का जोखिम उठाने को मजबूर हैं। स्थानीय जागरुक नागरिकों का आरोप है कि पूर्व में कई हादसे हो चुके हैं, इसके बाद भी उसैद घाट पर लोगों की जान से खिलबाड़ किया जा रहा है। लोगों को नदी पार कराने के लिए सुरक्षा उपकरण तो दूर स्टीमर में लोगों को सहारे के लिए कुछ पकड़ कर खड़े होने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं हैं।

शॉर्टकट रास्ता होने से यहीं से आते हैं अंचल के कावडि़ए

सोरों से गंगाजल लाने वाले कांवड़ यात्रियों को अंबाह, पोरसा, दिमनी के लिए चंबल के पिनाहट घाट का रास्ता कम दूरी का पड़ता है। इसलिए भिण्ड के गोरमी, गोहद तक के कांवड़ यात्री इसका उपयोग करते हैं। साथ ही मध्य प्रदेश के अम्बाह, मुरैना, पोरसा, ग्वालियर, भिंड के कांवडयि़े सोरों, हरिद्वार ऋषिकेश से कांवड़ में गंगाजल लेकर पिनाहट घाट होकर ही आते हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार बरसात होने और राजस्थान से चंबल में पानी छोड़े जाने से जल स्तर बढ़ा है।

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