जिले में 1.10 लाख बच्चों के अध्ययनरत रहने वाले कुल 1208 परिषदीय विद्यालय हैं। शासन द्वारा 50 से कम छात्र संख्या वाले 340 विद्यालयों को निकटतम स्कूलों में विलय करने का प्रस्ताव पहले से ही जारी किया गया था। इसके तहत एक जुलाई से स्कूल खुलने के बाद 210 विद्यालयों का प्रथम चरण में खंड शिक्षा अधिकारियों की सहायता से विलय कर दिया गया था।
हालांकि, घोसी लोकसभा सांसद, शिक्षक संगठनों, अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन समितियों के विरोध के बावजूद यह प्रक्रिया जारी रही। अब शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एक किमी से अधिक दूरी वाले स्कूलों का विलय रद्द किया जाए।
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस पर अमल शुरू कर दिया है। नई टीमों को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है, जो जल्द ही रिपोर्ट सौंपेंगी। रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।
जानिए क्या बोले बेसिक शिक्षा अधिकारी
इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार उपाध्याय ने बताया, “एक किमी से अधिक दूरी वाले स्कूलों का विलय निरस्त किए जाने के मामले में टीम गठित की गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।” वहीं, अभिभावकों का कहना है कि विभाग के बार-बार बदलते आदेशों से बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पूरा जुलाई महीना स्कूलों के विलय की प्रक्रिया में ही बीत गया और अब अगर विलय रद्द होता है तो इसमें भी समय लगेगा। अभिभावकों का मानना है कि यह प्रक्रिया ग्रीष्मकालीन अवकाश में पूरी की जानी चाहिए थी ताकि शिक्षा सत्र प्रभावित न होता।