गांव के रामअवध ने बताया कि तीन बल्ब और एक पंखे के लिए उन्हें 56,778 रुपये का बिल मिला है। रीता देवी ने कहा कि उनके दो बल्ब और एक पंखे पर 75,544 रुपये का बिल आया है। वहीं, जगदीश और रोहिणी जैसे कई उपभोक्ताओं ने बताया कि घर में सिर्फ एक बल्ब होने के बावजूद 46 हजार रुपये तक का बिल भेजा गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि 2017-18 में गांव में विद्युतीकरण के बाद कभी बिजली बिल नहीं भेजा गया। अब अचानक हजारों रुपये का बकाया थोपकर वसूली का दबाव बनाया जा रहा है। बिल न भरने पर पिछले महीने बिजली काट दी गई थी, हालांकि जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बाद आपूर्ति बहाल हुई।
मधुबन एसडीओ आरके यादव का कहना है कि कई साल से बिजली बिल का भुगतान नहीं हुआ है, इसलिए बकाया वसूली की जा रही है। वहीं, हर माह बिल क्यों नहीं भेजा गया, इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
उर्जा मंत्री ए.के. शर्मा बीते 6 अगस्त को बाढ़ का जायजा लेने गांव पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी यह समस्या मंत्री तक नहीं पहुंचाई गई। एडीएम सत्यप्रिय सिंह ने बताया कि गांव में कैंप लगाकर उपभोक्ताओं की समस्याएं सुनी जाएंगी और उचित समाधान कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि कनेक्शन लेने के बाद बिल जमा करना उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी होती है।