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लखनऊ

School Heart Screening: यूपी के सभी सरकारी-निजी स्कूलों में बच्चों के दिल की होगी स्क्रीनिंग: जानिए पूरा प्लान और मकसद

UP Govt to Launch Statewide Heart Screening: उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 से 15 वर्ष के स्कूली बच्चों के दिल की बीमारियों की पहचान के लिए व्यापक स्क्रीनिंग अभियान शुरू करने का फैसला लिया है। यह पहल बच्चों में अचानक हृदयाघात की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए की गई है और अगस्त 2025 से लखनऊ से शुरू होगी।

लखनऊJul 31, 2025 / 09:41 am

Ritesh Singh

यूपी में शुरू हुआ दिल की स्क्रीनिंग अभियान फोटो सोर्स : Social Media

यूपी में शुरू हुआ दिल की स्क्रीनिंग अभियान

फोटो सोर्स : Social Media

School children Heart Screening: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम और संवेदनशील कदम उठाया है, जिससे राज्य के लाखों स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार अब 5 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों की दिल से जुड़ी बीमारियों की मुफ्त स्क्रीनिंग कराने जा रही है। यह योजना न केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित होगी, बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी इसके दायरे में आएंगे। यह पहल बच्चों में बढ़ रही हार्ट अटैक की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए की गई है, ताकि समय रहते खतरनाक बीमारियों की पहचान कर इलाज सुनिश्चित किया जा सके।

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रूमेटिक हृदय रोग (आरएचडी) बना चिंता का विषय

इस अभियान का मुख्य फोकस दिल की उस बीमारी पर है जिसे रूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease – RHD) कहा जाता है। इस बीमारी में दिल के वाल्व में सिकुड़न और लीकेज की समस्या पैदा हो जाती है। पीजीआई लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर का कहना है कि विश्व में RHD के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत भारत में होते हैं।
डॉ. कपूर के मुताबिक RHD बच्चों में आमतौर पर गले में संक्रमण या बुखार से शुरू होकर धीरे-धीरे दिल पर असर डालता है। यदि समय रहते इलाज न हो तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। पीजीआई की ओपीडी में हर दिन लगभग पांच बच्चे इस बीमारी के लक्षणों के साथ आते हैं। कई बार मरीज रेफरल होकर बहुत देर से पहुंचते हैं, जिससे इलाज कठिन हो जाता है।

हाल की घटनाएं जो बनीं चेतावनी

बीते कुछ महीनों में प्रदेश में बच्चों की असमय मौतों की कई घटनाएं सामने आई हैं, जो इस अभियान के पीछे की मुख्य वजह बनीं। उदाहरण के लिए:
  • 13 सितंबर 2024: बाराबंकी में तीसरी कक्षा की छात्रा की अचानक मौत
  • 25 सितंबर 2024: लखनऊ में 12वीं के छात्र की हृदय गति रुकने से मृत्यु
  • 20 अक्टूबर 2024: लखनऊ की 10वीं की छात्रा की मौत
  • 01 जुलाई 2025: कक्षा सात के छात्र की मृत्यु
  • 20 जुलाई 2025: 11वीं की छात्रा का निधन
  • 25 जुलाई 2025: 10वीं के छात्र की अचानक मौत
इन सभी मामलों में प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज किया गया था। यदि समय पर स्क्रीनिंग और इलाज हो गया होता, तो शायद इन बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

“आरएचडी रोको” अभियान की रूपरेखा

यह अभियान “आरएचडी रोको” पहल के तहत चलाया जा रहा है, जिसे पीजीआई, स्टैनफोर्ड बायोडिज़ाइन और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर तैयार किया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा और पीजीआई निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमान इस योजना का नेतृत्व कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम की शुरुआत अगस्त 2025 से लखनऊ में होगी, जिसके बाद इसे प्रदेश के अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। योजना का मकसद सिर्फ बीमारी की पहचान करना नहीं है, बल्कि उसका संपूर्ण इलाज और फॉलोअप भी करना है।

स्क्रीनिंग प्रक्रिया: चार चरणों में कार्य

डॉ. आदित्य कपूर के अनुसार बच्चों की स्क्रीनिंग चार चरणों में की जाएगी:

  • प्रारंभिक सर्वेक्षण: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) की टीम स्कूलों में जाकर बच्चों से विशेष प्रश्न पूछेगी – जैसे खांसी, बुखार, खेलते समय जल्दी थकान, सीने में दर्द और सांस फूलने की समस्या।
  • डिजिटल स्टेथोस्कोप जांच: जिन बच्चों में लक्षण पाए जाएंगे, उनकी डिजिटल स्टेथोस्कोप के माध्यम से दिल की धड़कन सुनी जाएगी। इसमें AI आधारित तकनीक का प्रयोग होगा।
  • ईको जांच: अगर किसी भी छात्र की धड़कन में कोई असामान्यता मिलती है, तो उसे नजदीकी जिला अस्पताल भेजा जाएगा जहां उसकी इकोकार्डियोग्राफी (ECHO) कराई जाएगी।
  • उपचार और फॉलोअप: जिन बच्चों में RHD की पुष्टि होगी, उन्हें लखनऊ स्थित पीजीआई लाया जाएगा और वहां विशेषज्ञों की टीम द्वारा उनका इलाज किया जाएगा। इलाज के बाद भी नियमित फॉलोअप किया जाएगा।

जन जागरूकता भी अभियान का हिस्सा

इस योजना में अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना गया है। हर स्कूल में अभिभावक-शिक्षक बैठक के माध्यम से बच्चों में हार्ट से संबंधित लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा जनजागरूकता पोस्टर, ऑडियो-विजुअल क्लिप और मोबाइल मैसेज के माध्यम से अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी कि किन लक्षणों को गंभीरता से लेना है।

क्यों ज़रूरी है यह पहल

  • बच्चों में दिल की बीमारी अक्सर बिना लक्षणों के भी हो सकती है।
  • बुखार और गले के संक्रमण को सामान्य समझकर अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।
  • सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूलों को शामिल करना व्यापक कवरेज सुनिश्चित करता है।
  • पहले चरण में ही बीमारी पकड़ में आने से इलाज आसान और सस्ता होता है।

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