scriptEducation Awareness: 68,913 स्कूल से बाहर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ेगा उत्तर प्रदेश, 1 अगस्त से विशेष अभियान शुरू | UP Govt to Launch Special Training Drive for 68,913 Out-of-School Children from 1 August | Patrika News
लखनऊ

Education Awareness: 68,913 स्कूल से बाहर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ेगा उत्तर प्रदेश, 1 अगस्त से विशेष अभियान शुरू

Education Reform UP: उत्तर प्रदेश में शिक्षा से वंचित 68,913 बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग 1 अगस्त से विशेष प्रशिक्षण अभियान शुरू करेगा। इन बच्चों को उनकी बौद्धिक क्षमता के अनुसार प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सफलतापूर्वक प्रवेश पा सकें।

लखनऊJul 28, 2025 / 02:35 pm

Ritesh Singh

राज्यभर में चिन्हित 68,913 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ेगा बेसिक शिक्षा विभाग, महानिदेशक ने जारी किए निर्देश         फोटो सोर्स :Social Media

राज्यभर में चिन्हित 68,913 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ेगा बेसिक शिक्षा विभाग, महानिदेशक ने जारी किए निर्देश        
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,Education For All : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पूरे राज्य में शिक्षा से वंचित बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग ने “आउट ऑफ स्कूल” (Out of School) बच्चों को चिन्हित कर उन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 1 अगस्त 2025 से विशेष अभियान की शुरुआत होगी। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) कंचन वर्मा ने इस बाबत राज्य के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसमें अभियान को प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी बनाने की बात कही गई है।

68,913 बच्चे चिन्हित, अभियान से जुड़ेगी नई उम्मीद

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए सर्वेक्षण और डाटा विश्लेषण में यह पाया गया कि राज्य में कुल 68,913 बच्चे ऐसे हैं जो वर्तमान में किसी भी स्कूल में नामांकित नहीं हैं। इन बच्चों को विभिन्न कारणों से शिक्षा से वंचित माना गया है,जिनमें:
  • गरीबी और आर्थिक असमानता
  • पारिवारिक जिम्मेदारिया
  • प्रवासी मजदूर परिवारों के बच्चों का विस्थापन
  • सामाजिक, भाषाई या सांस्कृतिक अवरोध
  • शारीरिक या मानसिक अक्षमता
शामिल हैं। अब इन सभी बच्चों को पहचान कर उनके लिए विशेष “शैक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम” चलाया जाएगा ताकि वे अपनी बौद्धिक क्षमता और उम्र के अनुसार उचित कक्षा में प्रवेश पा सकें।

बौद्धिक स्तर के अनुसार प्रशिक्षण की व्यवस्था

महानिदेशक कंचन वर्मा ने स्पष्ट किया है कि यह महज़ औपचारिक नामांकन का अभियान नहीं है, बल्कि इसमें बच्चों को उनके वर्तमान ज्ञान स्तर का मूल्यांकन कर, उसी अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए राज्यभर में शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है जो इन बच्चों की आवश्यकता के अनुसार शिक्षण सामग्री और पद्धति अपनाएंगे। इन बच्चों को प्राथमिक स्तर पर साक्षरता, गणना, और सामाजिक समझ जैसे मूलभूत विषयों की शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद उन्हें नियमित कक्षा में जोड़ा जाएगा।

अभियान की प्रमुख विशेषताएं

  • गांव-गांव सर्वेक्षण और डोर टू डोर संपर्क: शिक्षा मित्रों, आशा बहनों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और प्रधानाचार्यों की मदद से बच्चों की पहचान की गई है।
  • मोबाइल शिक्षा यूनिट्स: जिन इलाकों में स्कूल की पहुंच सीमित है, वहां मोबाइल शिक्षण वाहन और शिक्षक पहुंचेंगे।
  • बालिका शिक्षा पर विशेष जोर: आउट ऑफ स्कूल बच्चियों की संख्या चिंताजनक है, इसलिए अभियान में किशोरी बालिकाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • विशेष प्रशिक्षण केंद्र (Special Training Centers – STCs): प्रत्येक ब्लॉक में ऐसे केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं जहां बच्चों को 3 से 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • समावेशी शिक्षा: दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से समन्वय किया जाएगा ताकि वे भी समुचित शिक्षा पा सकें।
  • राज्य सरकार का लक्ष्य: 100% नामांकन और शिक्षा का अधिकार
राज्य सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य यह है कि राज्य में कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) को पूर्णतः लागू किया जाए। इस अभियान के ज़रिए प्रदेश सरकार 100% नामांकन और न्यूनतम ड्रॉपआउट दर सुनिश्चित करना चाहती है। शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा “हमारे लिए शिक्षा सिर्फ किताबें पढ़ाना नहीं है, बल्कि हर बच्चे के जीवन को आकार देना है। ये बच्चे जब शिक्षा की रोशनी से जुड़ेंगे, तभी राज्य और देश का भविष्य उज्जवल होगा।”

सिविल सोसाइटी और संस्थाओं का सहयोग

अभियान में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (NGOs), बाल अधिकार संगठनों, और यूनिसेफ, सेव द चिल्ड्रन जैसी संस्थाओं से भी सहयोग लिया जा रहा है। ये संस्थाएं पहले से ही शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं और उनके अनुभव से यह अभियान अधिक प्रभावशाली हो सकेगा।

जनपद स्तर पर निगरानी तंत्र की व्यवस्था

महानिदेशक ने सभी जिलों के बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) को निर्देश दिए हैं कि वे हर सप्ताह अभियान की प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। राज्य स्तर पर इसके लिए एक मॉनिटरिंग डैशबोर्ड भी तैयार किया जा रहा है जहां पर:
  • बच्चों की सूची,
  • प्रशिक्षण की स्थिति,
  • स्कूल में दाखिला लेने की जानकारी
  • रियल-टाइम अपडेट की जाएगी।
  • चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि इस अभियान की मंशा स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं:
  • ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक विरोध
  • घुमंतू या प्रवासी परिवारों की अस्थिरता
  • बच्चों की बाल श्रम में संलिप्तता
  • अभिभावकों की अनिच्छा
इन समस्याओं से निपटने के लिए अधिकारियों को जनजागरूकता अभियान, संवाद और स्थानीय सहभागिता के ज़रिए समाधान तलाशना होगा।

चंदौली, सोनभद्र, बलरामपुर जैसे जिलों पर विशेष ध्यान

राज्य के कुछ जिले जैसे चंदौली, सोनभद्र, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, चित्रकूट में आउट ऑफ स्कूल बच्चों की संख्या तुलनात्मक रूप से अधिक है। इन जिलों में बस्ती स्तर पर विशेष प्रशिक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं और जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग की अपेक्षा की जा रही है।

शिक्षा की ओर एक मजबूत कदम

बेसिक शिक्षा विभाग का यह विशेष अभियान न सिर्फ आंकड़ों की भरपाई के लिए है, बल्कि यह समाज के उन वर्गों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है जो वर्षों से हाशिए पर रहे हैं। जब एक बच्चा शिक्षा से जुड़ता है, तो उसका पूरा परिवार और अगली पीढ़ियां प्रभावित होती हैं। राज्य सरकार की यह पहल शिक्षा के वास्तविक अधिकार, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है।

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