अयोध्या से कहीं आगे निकल गई काशी, रोड-रेल-रोजगार देने में हुई अव्वल
काशी में बीते 10 साल में रेल, रोड और दूसरे इंफ्रा में 48,459 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, वहीं अयोध्या में 2020 के बाद 20,000 करोड़ के लक्ष्य के साथ एक नया धार्मिक-पर्यटन केंद्र बनाने का धेय है।
प्रधानमंत्री मोदी अपने 51वें दौरे पर 2 अगस्त को फिर काशी आ रहे हैं। PC: narendramodi.in
अगर विकास की रेस में धार्मिक शहरों को उतारा जाए, तो अयोध्या और काशी की टक्कर सबसे दिलचस्प होगी, एक तरफ भगवान राम की जन्मभूमि, दूसरी ओर भोलेनाथ की नगरी। अयोध्या, जहां राम मंदिर के निर्माण के बाद, अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है, वहीं काशी ने बिना शोर-शराबे के अपने घाटों, गलियों और मंदिरों को नए सिरे से संवारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से वाराणसी को अपनी राजनीतिक रणभूमि बनाया है तब से काशी ने खुद को सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक ब्रांड में तब्दील कर लिया है। ड्रोन शॉट्स से लेकर गलियों की सफाई तक यह शहर अब विकास और विरासत का हाइब्रिड मॉडल बन चुका है। अयोध्या की तरह ही काशी भी अब न सिर्फ श्रद्धालुओं को बुला रही है, बल्कि दुनिया को दिखा रही है कि धर्म और डिजाइन साथ चल सकते हैं। आइए जानते हैं कि 10 साल में कितनी बदल गई काशी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से काशी ने विकास की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। PC: AI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से काशी ने विकास की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। पिछले एक दशक में काशी एक धार्मिक नगरी से आधुनिक भारत की सांस्कृतिक राजधानी में बदल गई है। वहीं, अयोध्या अभी राम मंदिर निर्माण के बाद बुनियादी ढांचे के विस्तार के शुरुआती चरण में है। जहां काशी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, गंगा घाटों का पुनर्विकास, रोपवे परियोजना और आधुनिक रेलवे स्टेशन जैसे कई प्रमुख प्रोजेक्ट या तो पूरे हो चुके हैं या अंतिम चरण में हैं। वहीं अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण, रेलवे स्टेशन का उन्नयन और सड़कों का चौड़ीकरण जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से चल रहा है।
काशी 10 साल में कितनी बदली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अप्रैल 2024 में 3,880 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं शुरू की गईं। 2014 से मार्च 2025 तक काशी विकास योजना के तहत कुल 580 परियोजनाएं चलाई गईं, जिनमें 48,459 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इन योजनाओं में सड़क को चौड़ा करना, स्कूलों का आधुनिकीकरण, नए पावर स्टेशन, घाटों का सौंदर्यीकरण और स्मार्ट सिटी के तहत आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।
अयोध्या कैसे तरक्की कर रही
राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या में भी बुनियादी ढांचे में बड़ी छलांग देखी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शहर को वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये की विकास योजनाएं शुरू की हैं। इनमें रेलवे, सड़क और हवाई संपर्क के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण भी शामिल है। जनवरी 2024 में राम मंदिर के पास नया रेलवे टर्मिनल 241 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ और इसका दूसरा चरण 480 करोड़ रुपये में तैयार हो रहा है। इसके अलावा NHAI ने अकेले सड़क परियोजनाओं में 12,000 करोड़ झोंक दिए हैं, जिनमें ‘चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग’ और ‘अयोध्या बाइपास’ शामिल हैं।
पर्यटन में भी आगे निकली काशी
पिछले पांच वर्षों के पर्यटन आंकड़ों पर नजर डालें तो वाराणसी ने अयोध्या की तुलना में निरंतर बड़ी बढ़त बनाए रखी है। 2019 में वाराणसी में 64.4 लाख पर्यटक आए, जबकि अयोध्या में केवल 17 लाख। 2020 में कोविड महामारी के कारण दोनों शहरों में गिरावट आई, लेकिन 2021 में वाराणसी में 30.8 लाख पर्यटक आए, वहीं अयोध्या में 2.8 लाख। 2022 में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के असर से वाराणसी में आंकड़ा बढ़कर 712.3 लाख तक पहुंच गया, जबकि अयोध्या में यह संख्या 239 लाख रही। 2023 में वाराणसी ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए 842 लाख पर्यटकों को आकर्षित किया, जबकि अयोध्या 204 लाख पर ठहर गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बीते पांच वर्षों में वाराणसी ने पर्यटन के क्षेत्र में अयोध्या को काफी पीछे छोड़ दिया है।
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