सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने सरकार को मौजूदा विधायकों का ऑडिट कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। सरकार ने कुछ विशेष एजेंसियों को इस कार्य में लगाया है, जिन्होंने गुपचुप तरीके से रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन एजेंसियों के माध्यम से सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों पर भी गहराई से सर्वे कराया जाएगा।
2027 के चुनाव में भाजपा टिकट वितरण में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पार्टी की रणनीति है कि इस बार केवल उन्हीं विधायकों को टिकट दिया जाए जो जनता की कसौटी पर खरे उतरते हों। ऐसे में कई वर्तमान विधायकों की टिकट दावेदारी खतरे में पड़ सकती है।
विधायकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन तीन श्रेणियों — A, B और C — में किया जाएगा। जिन विधायकों को सर्वाधिक अंक मिलेंगे, वे A श्रेणी में रखे जाएंगे। इसके बाद क्रमशः B और C श्रेणी में रखा जाएगा। यह रिपोर्ट भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सौंपी जाएगी, जो अंतिम निर्णय लेगा।
लगातार दो बार उत्तर प्रदेश में सरकार बना चुकी भाजपा अब तीसरी बार जीत दर्ज करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी मैदान में उतरने से पहले संगठनात्मक रूप से मजबूत और जनविश्वास से लैस उम्मीदवारों को ही मौका देना चाहती है।