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लखनऊ

UP Agriculture: 29 जिलों में सूखे जैसे हालात, फसलें संकट में; देवरिया सबसे पीछे, सरकार ने मांगी मदद

Monsoon Deficit Hits 29 UP Districts: उत्तर प्रदेश के 29 जिलों में बारिश की भारी कमी से खरीफ फसलों पर संकट गहराता जा रहा है। देवरिया समेत पूर्वांचल के कई जिलों में हालात बेहद खराब हैं। कृषि विभाग ने सिंचाई और ऊर्जा विभाग से मदद मांगी है। कम बारिश वाले जिलों को सूखा घोषित किया जा सकता है।

लखनऊJul 24, 2025 / 03:01 pm

Ritesh Singh

खरीफ की फसलों पर संकट फोटो सोर्स : Patrika

खरीफ की फसलों पर संकट फोटो सोर्स : Patrika

UP Agriculture News: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इस बार मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश के 29 जिलों में अब तक सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, जिनमें से देवरिया, कुशीनगर, संत कबीर नगर और आजमगढ़ सहित 13 जिलों में हालात बेहद खराब हैं। कृषि विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि 31 जुलाई तक बारिश सामान्य नहीं हुई, तो इन जिलों को सूखा प्रभावित घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों- धान, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंगफली और तिल की बुवाई और रोपाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। खेतों में पर्याप्त नमी नहीं होने से फसलें मुरझाने लगी हैं या बीज अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं।

धान की रोपाई और खरीफ बुवाई में गिरावट

प्रदेश में इस साल धान की 99% नर्सरी तैयार की जा चुकी है, लेकिन खेतों में पानी की भारी कमी के कारण अब तक केवल 65% रोपाई ही हो सकी है। अन्य फसलों का हाल भी चिंताजनक है:
  • मक्का – 62%
  • बाजरा – 32%
  • अरहर – 52%
  • मूंगफली – 31%
  • तिल – 54%
इसका सीधा असर खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ेगा, जो प्रदेश की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय दोनों के लिए खतरे की घंटी है।

किसानों की जुबानी स्थिति का सच

जौनपुर के किसान जमुना प्रसाद बताते हैं कि आमतौर पर इस समय तक वह 10 बीघा में धान की रोपाई कर चुके होते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ दो बीघा में ही रोपाई कर पाए हैं। उनका ट्रांसफार्मर पिछले 10 दिनों से जला पड़ा है और बिजली नहीं मिल रही। आजमगढ़ जिले के ढेमा गांव के किसान विश्व विजय सिंह कहते हैं कि उनके इलाके की नहरें सूखी पड़ी हैं, और ट्यूबवेल चलाने के लिए बिजली की आपूर्ति अनियमित है। “धान की जगह अब सोच रहे हैं कि दलहन ही बो दी जाए,” वे कहते हैं। देवरिया के किसान मनीष सिंह का कहना है कि उनके खेतों में धूल उड़ रही है। “ना बारिश, ना नहर का पानी, ऊपर से बिजली भी समय पर नहीं मिलती। खेत जैसे मरुस्थल बनते जा रहे हैं,” वे बताते हैं।

कृषि विभाग ने लगाई सिंचाई और बिजली विभाग से गुहार

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग ने सिंचाई और ऊर्जा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि “नहर विभाग को जल प्रवाह सुनिश्चित करने और ऊर्जा विभाग को किसानों को भरपूर बिजली देने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।” कृषि विभाग ने कम पानी में पनपने वाली वैकल्पिक फसलों की जानकारी किसानों को देने और बीज व खाद पर अनुदान देने की व्यवस्था भी शुरू कर दी है।

बारिश का विश्लेषण: कहां कितना नुकसान

राज्य के 16 जिलों में सामान्य से भी कम (40% से कम) बारिश हुई है, जिससे वहां सूखा जैसे हालात बन चुके हैं। इनमें से 8 जिले पूर्वांचल के हैं, जहां परंपरागत रूप से धान की खेती प्रमुख होती है।

कम बारिश वाले प्रमुख जिले:

  • जिला बारिश (औसत से प्रतिशत में)
  • देवरिया 6.5%
  • कुशीनगर 13.2%
  • संत कबीरनगर 21.1%
  • शामली 20.4%
  • गौतम बुद्धनगर 23.2%

बेहतर बारिश वाले बुंदेलखंड के जिले

  • जिला बारिश (औसत से प्रतिशत में)
  • बांदा 242%
  • ललितपुर 234%
  • चित्रकूट 201%
  • हमीरपुर 197%
  • महोबा 198%
यह असमानता प्रदेश में मानसून की विषमता को दर्शाती है।

फसलों पर मंडराता खतरा

बारिश की कमी से न केवल रोपाई देर से हो रही है, बल्कि इससे फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा। देर से रोपाई करने पर पौधियों की कृषि चक्र से तालमेल बिगड़ता है, जिससे पैदावार कम होती है और बीमारियां बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अगस्त के पहले सप्ताह तक बारिश नहीं होती, तो धान और अरहर की फसल को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

सूखे की स्थिति और संभावित राहत

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि 31 जुलाई तक बारिश औसत स्तर तक नहीं पहुंची, तो सूखा राहत नीति के तहत इन जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया जाएगा। इसके अंतर्गत:
  • कृषि ऋण पर ब्याज में छूट
  • बीमा भुगतान
  • फसल राहत अनुदान
  • मनरेगा के तहत मजदूरी रोजगार में वृद्धि
  • बिजली बिलों पर रियायत
  • जैसी व्यवस्थाएं लागू की जा सकती हैं।

क्या कहते हैं मौसम विभाग के आंकड़े

मौसम विभाग के अनुसार
  • 16 जिलों में सामान्य से अधिक (120% से ज्यादा) बारिश हुई है
  • 18 जिलों में सामान्य (80-120%) बारिश
  • 12 जिलों में सामान्य से कम (60-80%)
  • 13 जिलों में अत्यधिक कम (40-60%)
  • 16 जिलों में बेहद कम (40% से नीचे)
  • यह आंकड़े दर्शाते हैं कि पूरे प्रदेश में बारिश का वितरण असमान और असंतुलित रहा है।

प्रशासनिक तैयारी और राहत प्रयास

राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे कृषि विभाग, सिंचाई विभाग और विद्युत विभाग के साथ समन्वय बनाकर किसानों को राहत दिलाएं। कृषि विज्ञान केंद्रों को भी अलर्ट कर दिया गया है ताकि वे किसानों को वैकल्पिक फसलें, सिंचाई तकनीक और उर्वरक उपयोग के विषय में मार्गदर्शन दे सकें।

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