घटना और ठगी का तरीका
गोसाईगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले अवधेश कुमार (पुत्र भागीरथ), ग्राम कासिमपुर बिरूहा, को धोकाधड़ी का शिकार बनाया गया। आरोप है कि 22 जून 2025 को फेसबुक पर एक फर्जी फर्म का पेज बनाए गए। उसमें कथित कूटरचित (नकली) सर्टिफिकेट साझा कर अवधेश को भरोसा दिलाया गया कि वह उसके लिए केले की उन्नत प्रजाति के पौधे सस्ते दामों पर उपलब्ध करा सकते हैं। इसके भरोसे अवधेश ने कुल ₹29,25,500/- ट्रांसफर कर दिए। उक्त सूचना मिलने पर थाना गोसाईगंज में मुकदमा संख्या 318/2025 पंजीकृत हुआ और साइबर क्राइम सेल में भी शिकायत दर्ज की गई।
नाजायज कमाई और गिरफ्तारी की कार्रवाई
लखनऊ पुलिस की संयुक्त टीम ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के मिरज ग्रामीण और कर्नाटक के विजयपुरा (बीजापुर) से चार अंतरराज्यीय साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से: - 6 मोबाइल फोन
2 एटीएम कार्ड
बरामद किए गए। - साथ ही, अभियुक्तों के बैंक खातों से कुल ₹14 लाख की राशि फ्रीज़ कराई गई।
टीम गोसाईगंज व साइबर सेल की कामयाबी
पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई में गोसाईगंज थाना और साइबर क्राइम सेल ने मिलकर तकनीकी सहायता एवं डिजिटल फॉरेंसिक विधियों का उपयोग किया। सोशल मीडिया ट्रैक्स, बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड और मोबाइल लोकेशन आदि की मदद से आरोपियों का पता लगा कर गिरफ्तार किया गया।
ठगों की चालें: सोशल मीडिया पर नकली पेज
ऑनलाइन धोखाधड़ी की इस घटना की चपेट में आने का मुख्य कारण था ठगों का सोशल मीडिया का कुशल उपयोग। फेसबुक पर fake domain/id‑61576662486527 जैसे पेज स्थापित कर, लोग समझे कि यह एक वैध कृषि फर्म है। तथाकथित किसान प्रमाण पत्र भेजकर विक्रय का झांसा दिया गया। किसान की विश्वसनीयता और आकांक्षाओं का लाभ उठाया गया।
पीड़ित की प्रतिक्रिया
अवधेश कुमार ने बताया कि वे खेती के काम में लगे थे और उन्नत किस्म के पौधे खरीदने की सोच रहे थे। फेसबुक कॉल पर उन्हें भरोसा दिलाया गया कि पौधे सीधे पहुंच जाएँगे। बाद में भुगतान के बाद पौधे नहीं मिले, और फर्म का एड्रेस/पेज गायब था। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
पुलिस नेतृत्व की सक्रियता
इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व गोसाईगंज के थाना प्रभारी और लखनऊ साइबर क्राइम सेल के अधिकारी संयुक्त रूप से कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्देश दिए कि सोशल मीडिया में सक्रिय ऐसी ठगी की जानकारी पर तत्काल कार्रवाई हो। पिछले कुछ महीनों में इस तरह की क्राइम में बढ़ोतरी देखी गई, जिससे पुलिस भी सजग हुई। तकनीकी और फॉरेंसिक भूमिका
- आरोपी मोबाइल SIM, फोन लोकेशन, SMS और ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड्स के आधार पर ट्रैक किए गए।
- बैंक खातों के पेमेंट्स को फ्रीज़ की गृह तकनीकी टीम ने तेजी से कार्यवाही की।
- ATM कार्ड की लेन-देन हिस्ट्री को ट्रेस किया गया।
- इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों एवं डेटा एनालिटिक्स की मदद से आरोपियों की पहचान की गई।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, आईटी एक्ट और अपराधों से जुड़ी अन्य धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। पुलिस आगे के साक्ष्य जुटा रही है, जिसमें बैंक स्टेटमेंट, फेसबुक चैट्स, फोन कॉल डीटेल, VCF फाइल अलग-अलग स्रोतों से जुटाए जा रहे हैं। अदालत में आरोपियों को पेश कर वांछित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
साइबर जागरूकता का प्रचार-प्रसार
यह मामला राज्य में किसानों व आम जनता को सचेत करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मंत्रालय और पुलिस दोनों इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए सोशल मीडिया चेतावनी अभियान चला रहे हैं और लोकल गांव स्तर पर डिजिटल जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।