ग्रामीणों का कहना है कि खुलेआम बिना किसी परमिशन के अवैध रूप से ईंट-भट्ठे (Illegal bricks kiln) चल रहे हैं। ईंट बनाने वाले लोगों को खनिज विभाग व ग्राम पंचायत से एनओसी भी नहीं दी गई है। जिससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। बावजूद खनिज विभाग जांच व कार्रवाई नहीं कर रहा है। बताया जाता है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से खनिज विभाग मौन है।
मनेद्रगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत चनवारीडांड़, चौघड़ा, लालपुर, झगड़ाखाडं में अवैध तरीके (Illegal bricks kiln) से ईंट बनाने का कार्य लंबे समय से चल रहा है। क्षेत्र में कई गांव हैं, जहां कुम्हार जाति के अलावा अन्य लोग र्इंट बनाने का कार्य करते है। खनिज विभाग व प्रशासन की अनदेखी से ईंट भट्ठे लगाकर व्यापार कर रहे हैं। हालांकि, इस मार्ग से अधिकारियों का आना जाना भी है।
लेकिन अवैध ईंट भट्ठों (Illegal bricks kiln) पर नजर नहीं पड़ती है। वही ईंट भट्ठों से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। बताया जाता है कि कुछ गांवों में बुजुर्ग, मरीज अल सुबह सैर करने निकलते हैं। उन मार्गों पर ईंट भट्ठे के धुएं से ग्रामीण परेशान हैं। मामले में जांच व कार्रवाई नहीं होने से खनिज विभाग की कार्य प्रणाली पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
पर्यावरणविद जता चुके हैं आपत्ति
कई बार पर्यावरणविदों ने भी मामले में खनिज व वन विभाग को पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में शिकायत कर चुके हैं। लेकिन किसी प्रकार का कोई (Illegal bricks kiln) संज्ञान नहीं लिया गया है।
जबकि तर्क दिया है कि कोरोना काल के बाद से लालपुर मार्ग में लगने वाले ईंट-भट्ठों से श्वास रोग व दिल के मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सुबह ईंट-भट्ठों से निकलने वाले धुओं से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इस मार्ग से तहसीलदार, एसडीएम व खनिज अधिकारियों का भी आवागमन होता है।
Illegal bricks kiln: ग्रामीणों का है ये कहना
ग्रामीण रामप्रकाश का कहना है कि शहर से लगे क्षेत्र में ईंट भट्ठों (Illegal bricks kiln) के धुएं से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इससे मरीज व हम बुजुर्गों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं रमेश सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत में बिना शासन-प्रशासन की शह के ईंट भट्ठों का संचालन नहीं किया जा सकता है। इसका खामियाजा सुबह सैर करने वाले आम जनता को भुगतना पड़ता है।