scriptअंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष- नन्हीं जिंदगियों के लिए प्राणवायु दे रही नर्से, मां की तरह देखभाल | Special on International Nurses Day: Nurses are giving life to little lives, caring like a mother | Patrika News
खंडवा

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष- नन्हीं जिंदगियों के लिए प्राणवायु दे रही नर्से, मां की तरह देखभाल

जिला अस्पताल की शिशु गहन चिकित्सा इकाई में ना कोई खिलौना है, ना हंसी की किलकारियां गूंजती है, लेकिन यहां हर पल जिंदगी की जंग लड़ी जा रही है। यहां कुछ ऐसे मासूम भर्ती है, जिन्हें इस दुनिया में आते ही त्याग दिया गया। कोई कचरे में मिला, कोई झाड़ियों में पड़ा रोता हुआ मिला। लेकिन इन बच्चों के लिए इस अस्पताल की नसें किसी मां से कम नहीं है। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर हम बात कर रहे है ऐसी नर्सों की जो हर पल इन नन्हीं जिंदगियों के लिए प्राणवायु बन चुकी है।

खंडवाMay 12, 2025 / 12:27 pm

Deepak sapkal

शिशु गहन चिकित्सा इकाई में क्षमता से अधिक बच्चे, नर्स स्टाफ भी कम

दिन व रात मासूमों की देखभाल

रविवार को सुबह छह बजे नर्स दीपिका गौर, प्रीति नंदवाने, साक्षी यादव व निकिता बरोले पदस्थ शिशु गहन चिकित्सा इकाई पहुंची। सबसे पहले उस बच्चे के पास गई जिसे अपनों ने त्याग दिया था। उसका बारी-बारी सभी ने दुलार किया। नर्सों का कहना है कि जब इस तरह के बच्चे यहां आते हैं तो उनकी हालत बेहद नाजुक होती है। यह जो बच्चा भर्ती है वह ठीक से सांस तक नहीं ले पा रहा था। अब वह पुरी तरह से स्वस्थ हैं। इस तरह से यहां 23 नर्स हैं जिनका दिन व रात इन मासूमों की देखभाल में गुजरता है। ड्यूटी के घंटे खत्म हो जाएं, लेकिन मां जैसा अपनापन खत्म नहीं होता।

नर्स या मां फर्क करना मुश्किल

शिशु गहन चिकित्सा इकाई 23 नर्स हैं। नवजात बच्चों का यह विशेष वार्ड में 20 बेड वाला है, लेकिन बच्चों की संख्या बढ़‌कर 34 हो गई है। नर्सों की संख्या नहीं बढ़ी लेकिन इस परिस्थिति में भी इन नर्सों का प्यार बच्चों के लिए कम नहीं हुआ। खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें अपनों ने जन्म के बाद त्याग दिया। उनके प्रति इनका प्यार देखकर यह फर्क करना कि यह नर्स या मां मुश्किल हैं। अपनों से कहीं ज्यादा वे इन मासूमों की देखरेख कर रही है।

पर्याप्त स्टाफ नहीं, बेड भी कम

शिशु गहन चिकित्सा इकाई में 20 बेड हैं। यहां क्षमता से अधिक बच्चे यहां भर्ती हैं।। हैं। इसके बाद भी इस वार्ड की क्षमता नहीं बढ़ाई जा रही है। आम बच्चों के साथ वे बच्चे भी यहां भर्ती है जिन्हें जन्म के बाद त्याग दिया गया। इधर स्टाफ भी नहीं बढ़ाया जा रहा है। इस चुनौती के बीच सेवा का जज्बा लिए नर्से अपना फर्ज बखूबी निभा रही है। इसको लेकर डॉक्टर कृष्णा वास्कले, प्रभारी शिशु गहन चिकित्सा इकाई ने बताया कि 20 बच्चों के लिए 23 नर्स हैं। तीन शिफ्ट में सभी की ड्यूटी लगती है। एक शिफ्ट में चार नर्स होती है। वे पुरी सेवा भाव से बच्चों का ध्यान रखती हैं। फिलहाल 34 बच्चे हैं जिनके हिसाब से नर्सों की संख्या 30 होनी चाहिए।

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