कलाकार बोले… किशोर दा नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे, उन्होंने जो वो सुर दिए जो पूरी दुनिया में आज भी धड़कते हैं…
किशोर दा केवल गायक ही नहीं थे, बल्कि वह एक एहसास थे। जिसने फिल्मों को भाव दिया, गीतों को आत्मा दी। उनके गीतों में जहां प्रेम की मिठास थी, वहीं समाज की पुकार भी। खंडवा ने उन्हें जन्म दिया, और उन्होंने खंडवा को पहचान दी।
खंडवा : आवाज के जादूगर, किशोर कुमार की 4 अगस्त को जयंती अवसर पर स्पेशल पेज
किशोर दा केवल गायक ही नहीं थे, बल्कि वह एक एहसास थे। जिसने फिल्मों को भाव दिया, गीतों को आत्मा दी। उनके गीतों में जहां प्रेम की मिठास थी, वहीं समाज की पुकार भी। खंडवा ने उन्हें जन्म दिया, और उन्होंने खंडवा को पहचान दी।
किशोर दा से प्रेरित होकर कलाकार देशभर में खंडवा का नाम रोशन कर रहे, खंडवा की मिट्टी में किशोर कुमार किसी पाठशाला से नहीं, बल्कि कुदरत से मिले सुरों से उन्होंने वह संगीत रच दिया जो पीढिय़ों के दिलों में धड़कता है। उनकी आवाज में ऐसी दीवानगी थी जो हर दर्द को बयां करती थी, हर मुस्कान में झलक सकती थी।
खंडवा की हवाएं खिलखिला उठती हैं
किशोर दा के गीत गूंजते हैं तो खंडवा की हवाएं खिलखिला उठती हैं। यह कहानी सिर्फ एक गायक की नहीं, बल्कि एक शहर और उसके स्वाभिमान की भी है। किशोर दा के स्वर और उनकी पहचान से प्रेरित होकर खंडवा की मिट्टी की खुशबू देशभर में महक रही है। युवा कलाकार मुंबई, दिल्ली से लेकर सात समंदर पार तक नाम रोशन कर रहे हैं।
अमित महोदय, टीवी कलाकार
किशोर दा हमारे प्रेरणा हैं। क्यों मेरे ग्रैंडफादर किशोरी लाल जी उनके मित्र थे। इसलिए किशोर दा मेरे लिए सिर्फ कलाकार नहीं, पारिवारिक प्रेरणा हैं। मेरी फिल्मों की कहानी में उनके बेटे अमित कुमार दा के गीत होना मेरी श्रद्धा है। जब-जब उनसे मुलाकात होती है, किशोर दा की आत्मा महसूस होती है अक्षुण्ण और प्रेरणास्पद।
सुदीप सोहनी, लघु फिल्म निर्देशक
बचपन में किशोर दा की लोकप्रियता ने मेरे सपनों को दिशा दी। कला की ओर कदम बढ़ाने की प्रेरणा उन्हीं से मिली। उनके गीतों की ऊर्जा आज भी मेरे फिल्मी फ्रेम में गूंजती है। उनके जैसा कलाकार सदियों में एक बार जन्म लेता है, वे हमारे समय की धरोहर हैं। जो आज हूं उसकी प्रेरणा ही किशोर कुमार हैं। खुद पर गर्व होता है कि जिस किशोर ने खंडवा की हवाओं में कभी सांस ली होगी उसी शहर में मेरा जन्म हुआ।
आशीष देव… वाइस आर्टिस्ट
खंडवा का नाम दुनियाभर में किशोर दा से जाना जाता है। खंडवा स्टेशन पर कदम रखते ही उनकी हर सख्त उन्हें याद करता है। उनसे प्रेरित होकर कई कलाकार मुंबई और अन्य शहरों में खंडवा का नाम रोशन कर रहे हैं। वे आज भी स्वर की आत्मा हैं, जिनसे कोई लौटा नहीं सकता, पर उनकी यादें अमर हैं। उनकी यादों को जीवंत बनाए रखने खंडवा को चिंतन करना चाहिए।
राजेन्द्र कुमार वाघे…रिटायर्ड एसडीओ, सेतु निगम
किशोर दा नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे। खंडवा की मिट्टी ने उन्हें वो सुर दिए जो पूरी दुनिया में गूंजते हैं। उन्होंने कहीं गायन सीखा नहीं था, गीत कठिन थे लेकिन बहुत ही सुंदर और सहजता से गाए। ये उनकी विशेषता थी। वह केवल गायक नहीं, संस्कृति के संवाहक थे। उनकी स्मृति को सहेजना हमारी जिम्मेदारी है।
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