कटनी. मध्यप्रदेश के कटनी जिले की गोद में छिपा हुआ एक अद्भुत जलसंरचना स्थल ऊमरडोली डेम आज भी अपने शिल्प और प्राकृतिक सौंदर्य से सबका मन मोह रहा है। रीठी तहसील के बकलेहटा और चरगवां गांव के मध्य स्थित यह जलाशय प्रदेश का इकलौता आर्च डेम है, जो 110 वर्षों से अडिग खड़ा है। इसे देखकर साफ प्रतीत होता है कि यह सिर्फ एक बांध नहीं, बल्कि पुराने काल की अभियांत्रिकी का बेजोड़ नमूना है, जो आज भी पूरी शान से लोगों की प्यास बुझा रहा है और पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। ऊमरडोली डेम का निर्माण वर्ष 1914 में शुरू हुआ और इसे बनने में करीब 10 साल लगे। दो विशाल पहाड़ों को जोडकऱ सर्पाकार ढंग से बनाए गए इस आर्च डेम की लंबाई 1520 फीट और ऊंचाई 74 फीट है। इसे बनाने में 25.75 लाख क्यूबिक फीट पत्थरों का उपयोग किया गया। इसकी कैचमेंट एरिया लगभग 14.4 वर्ग मील है।
ऊमरडोली जलाशय से निकलने वाली नहरों के माध्यम से चरगवां, बकलेहटा, तिघरा कलां और बरजी गांव की 405 हेक्टेयर कृषि भूमि को रबी और खरीफ सीजन में सिंचाई सुविधा मिलती है। बारिश के मौसम में ऊमरडोली डेम और इसके आसपास का दृश्य किसी धरती के स्वर्ग से कम नहीं लगता। डेम के समीप फैला घना जंगल और आसपास के हरियाली से भरपूर स्थल ट्रेकिंग, पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान बनते जा रहे हैं। नए साल और अवकाश के दिनों में यहां हजारों की संख्या में लोग भ्रमण के लिए आते हैं।
कटनी क्षेत्र के लोग बकलेहटा होते हुए ऊमरडोली बांध तक पहुंच सकते हैं। बहोरीबंद व कुम्हारी एरिया के लोग सलैया स्टेशन से ग्राम लालपुरा के रास्ते पहुंचें। स्थानीय निवासियों और पर्यटकों का कहना है कि ऊमरडोली केवल एक बांध नहीं, यह हमारे जिले की शान और पहचान है। यहां आकर मन को सुकून, आंखों को हरियाली और दिल को गर्व का अनुभव होता है। ऐसी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। शासन और प्रशासन से यह भी मांग रखी है कि इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर इसके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
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