अबतक टूट चुकी हैं कई एफडी
बता दें कि नगर निगम की माली हालत बहुत ज्यादा खराब है। स्थिति यहां तक आ बनती है कि समय से अधिकारी-कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ जाते हैं। सत्रों की मानें तो पिछले तीन वर्ष में नगर निगम लगभग 35 करोड़ रुपए रुपए की एफडी बैंकों में तोड़ चुका है। जमा पूंजी को वेतन, विकास कार्य आदि में खर्च कर दिया गया है, बावजूद इसके फिजूलखर्ची पर रोक नहीं लगाई जा रही।
प्रभावित हैं विकास कार्य
नगर निगम की आर्थिक हालत खस्ता है। 45 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों की फाइल सूचीबद्ध है। यह लिस्ट आयुक्त, माहपौर व बाबुओं सहित विभागीय अधिकारियों के पास घूम रहीं हैं। पार्षद भी अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। सडक़, नाली, पेवरब्लॉक, बिजली के पोल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की वार्डों में नितांत आवश्यकता है, इसके बाद भी इनकी स्वीकृति व एनआइटी जारी न होने की मुख्य वजह बजट न होना है, इसके बाद भी ऐसे मामलों में खर्च करना कई प्रकार के सवाल खड़े कर रहा है।
आयुक्त ने कही यह बात
अब सोशल मीडिया का दौर है। नगर निगम की विभागीय योजनाओं, कार्यक्रमों का सोशल मीडिया में प्रचार-प्रसार कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है। प्रचार-प्रसार के लिए बजट में से राशि तय होती है, उसकी के तहत यह निर्णय लिया गया है। सोशल मीडिया हैंडलर रखना फिजूलखर्ची नहीं है।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।