scriptडॉक्टर्स डे विशेष : जान जोखिम में डालकर बचाई कई जिंदगियां, व्यास बने जीवनरक्षक, बिना डरे किया उपचार | Doctors Day Special: Saved many lives by risking his own life, Vyas became a lifesaver, treated patients without any fear | Patrika News
जैसलमेर

डॉक्टर्स डे विशेष : जान जोखिम में डालकर बचाई कई जिंदगियां, व्यास बने जीवनरक्षक, बिना डरे किया उपचार

वैश्विक महामारी कोरोना की सबसे घातक दूसरी लहर के दौरान जब चारों ओर भय और अनिश्चितता का माहौल था, उस समय जैसलमेर के युवा फिजिशियन डॉ. संजय व्यास ने मरीजों के बीच रहकर न केवल उन्हें इलाज दिया, बल्कि हौसला भी बढ़ाया।

जैसलमेरJun 30, 2025 / 08:37 pm

Deepak Vyas

वैश्विक महामारी कोरोना की सबसे घातक दूसरी लहर के दौरान जब चारों ओर भय और अनिश्चितता का माहौल था, उस समय जैसलमेर के युवा फिजिशियन डॉ. संजय व्यास ने मरीजों के बीच रहकर न केवल उन्हें इलाज दिया, बल्कि हौसला भी बढ़ाया। उस दौर में उनका नाम जैसलमेर में जीवनदाता के रूप में लिया जाने लगा था।
यह वह समय था, जब कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी और संक्रमण बेहद तेजी से फैल रहा था। अधिकांश चिकित्सक कोविड के संभावित मरीजों से दूरी रखकर उपचार देने को विवश थे, लेकिन डॉ. संजय ऐसे मरीजों के पास जाकर सामान्य दिनों की तरह छाती और पीठ की जांच करते रहे और उपचार सुझाते रहे। इस दौरान वे खुद भी संक्रमित हो गए, लेकिन तब भी उन्होंने मरीजों से मोबाइल पर संपर्क बनाए रखा, उनकी तबीयत की जानकारी ली और दवाएं भी बताईं।
कोरोना की दूसरी लहर में पुष्करणा ब्राह्मण समाज की ओर से जगाणी भवन में स्थापित आवासीय शिविर में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। वे सुबह-शाम शिविर में जाकर मरीजों की जांच करते और समाज के हर वर्ग के मरीजों को उपचार उपलब्ध करवाते। डॉ. संजय ने बताया कि उनके चिकित्सकीय जीवन में यह समय सबसे चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन यही समय उन्हें सबसे अधिक सीख भी दे गया।
उनकी नजर में सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ मरीजों को नहीं बचाया जा सका। कई बार समय पर इलाज मिलने और स्थिति नियंत्रण में होने के बावजूद मरीजों की तबीयत अचानक बिगड़ जाती और वे दुनिया छोड़ जाते। ऐसे अनुभवों ने उन्हें चिकित्सकीय विज्ञान की सीमाएं समझने पर मजबूर कर दिया।
डॉ. संजय का मानना है कि डॉक्टर का काम केवल इलाज करना नहीं होता, बल्कि मरीज का मनोबल बढ़ाना भी उतना ही जरूरी होता है। कोरोना काल में उन्होंने इसी सोच को अपना मंत्र बनाकर कार्य किया और सैकड़ों लोगों को नया जीवन देने में सफलता पाई।

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