scriptशहीद पिता का अधूरा रह गया वादा, बेटे ने आज भी नहीं पहनी तोहफे वाली घड़ी, मां ने शव नहीं मिलने तक 64 दिन रखा था उपवास | Vijay Kargil Diwas 2025 Special Emotional Story Of Martyr Subedar Mangej Singh Rathore's Son | Patrika News
जयपुर

शहीद पिता का अधूरा रह गया वादा, बेटे ने आज भी नहीं पहनी तोहफे वाली घड़ी, मां ने शव नहीं मिलने तक 64 दिन रखा था उपवास

शहीदों के परिजन आज भी उनकी चीजों को संजोकर रखते हैं। किसी के पास अंतिम पत्र है तो किसी के पास शहादत स्थल की मिट्टी सहेज रखी है।

जयपुरJul 26, 2025 / 01:33 pm

Akshita Deora

तोहफे वाली घड़ी (फोटो: पत्रिका)

Kargil Vijay Diwas 2025: करगिल युद्ध में जीत की कीमत कई वीरों की शहादत से चुकाई। वे लौटे नहीं, लेकिन उनकी यादें आज भी घरों के आंगन में गूंजती हैं और उनके परिजन के दिल में समाई हैं। शहीदों के परिजन आज भी उनकी चीजों को संजोकर रखते हैं। किसी के पास अंतिम पत्र है तो किसी के पास शहादत स्थल की मिट्टी सहेज रखी है।

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बेटे ने अभी तक नहीं पहनी तोहफे वाली घड़ी

परबतसर के हरनावां गांव के शहीद सुबेदार मंगेज सिंह राठौड़ के बेटे महेंद्र सिंह बताते हैं कि लड़ाई उनके लिए अधूरी कहानी है। पापा जब जा रहे थे, उन्होंने मुझे एक घड़ी दी थी। आज तक वो नहीं पहनी। वो उनकी आखिरी निशानी है। पापा ने चिट्ठी में लिखा था कि 12वीं कक्षा में फर्स्ट आओगे तो बाइक दिलवाऊंगा। उनका वादा अधूरा रह गया। उनकी मां संतोष कंवर ने शव नहीं मिलने तक 64 दिन उपवास रखा।

शहादत की मिट्टी को शो-केस में सहेज रखा

Kargil Vijay Diwas
जयपुर के मालवीय नगर निवासी शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की मां सुशीला शर्मा और बहन सुनीता भारद्वाज ने उनकी स्मृतियों को सहेज रखा है। उनकी वर्दी, बूट, किताबें, मेडल, यहां तक कि जिस पोस्ट पर शहादत मिली, वहां की मिट्टी भी एक डिब्बी में रखी हुई है। सुनीता बताती हैं, हमने उनकी वर्दी के लिए एक खास शो-केस बनवाया है, जिसमें उनकी यूनिफॉर्म हर समय सजी रहती है।

जाने से पहले खिंचवाया था फोटो

Kargil Vijay Diwas
खेतड़ी के पपुरना गांव निवासी लांस नायक शहीद भगवान सिंह के बेटे कमलदीप सिंह बताते हैं, मैं 10 साल का था जब पापा कारगिल युद्ध में शहीद हुए। मुझे बहुत कुछ याद नहीं, लेकिन पापा और मम्मी के साथ खिंचवाया हुआ फोटो आज भी मेरी सबसे बड़ी दौलत है। उन्होंने कहा कि, पापा शहीद भगवान सिंह 27 राजपूत रेजीमेंट में थे और कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय में बलिदान दिया।

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