scriptRajasthan: मनरेगा में चल रहा था 2600 करोड़ के फर्जीवाड़े का खेल, मोबाइल ऐप से ऐसे हुआ पर्दाफाश | Rajasthan: Mobile app stopped Rs 2600 crore fraud in MNREGA, know how the game was going on | Patrika News
जयपुर

Rajasthan: मनरेगा में चल रहा था 2600 करोड़ के फर्जीवाड़े का खेल, मोबाइल ऐप से ऐसे हुआ पर्दाफाश

ऐप से श्रमिकों की लाइव फोटो के साथ वास्तविक उपस्थिति अनिवार्य की गई। ऐप ने गड़बड़ियां पकड़ना शुरू किया तो मनरेगा कार्य स्थलों पर मस्टररोल पर वास्तविक श्रमिक दर्ज होने लगे। छह माह में मस्टररोल में 15.31 फीसदी कमी आ गई।

जयपुरJul 02, 2025 / 11:59 am

anand yadav

मनरेगा में ऐप से पकड़ी गड़बड़ी, फोटो- एआइ

कानाराम मुण्डियार

राजस्थान सरकार के नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) के ऐप ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ दी। ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग ने मनरेगा में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए 1 जनवरी, 24 को इस ऐप को लॉन्च किया था। ऐप से श्रमिकों की लाइव फोटो के साथ वास्तविक उपस्थिति अनिवार्य की गई। ऐप ने गड़बड़ियां पकड़ना शुरू किया तो मनरेगा कार्य स्थलों पर मस्टररोल पर वास्तविक श्रमिक दर्ज होने लगे। छह माह में मस्टररोल में 15.31 फीसदी कमी आ गई।

2600 करोड़ के फर्जीवाड़े को रोका

एक नवंबर 2024 से मार्च 25 तक 6 करोड़ और 1 अप्रेल 2025 से 29 जून तक 7 करोड़ श्रमिक नियोजन कम हो गया। एक श्रमिक की प्रतिदिन न्यूनतम 200 रुपए की मजदूरी के हिसाब से फर्जी लगने वाले श्रमिकों के बतौर 2600 करोड़ के फर्जीवाड़े को रोक दिया। विभाग ने 1700 मेट ब्लैक लिस्ट किए और 5000 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ नोटिस की कार्रवाई की।
मनरेगा में ऐप से निगरानी, पत्रिका फोटो

मेट करते थे ऐसे गड़बड़ी

एक ही जगह की तस्वीर अलग-अलग कार्यस्थलों के नाम पर अपलोड करना।
पुराने फोटो को नए दिन की उपस्थिति के रूप में इस्तेमाल करना।
फोटो में दिख रहे श्रमिकों की संख्या और मस्टरोल की संख्या मेल नहीं खा रही थी।
मनरेगा में ऐप से वास्तविक श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज, पत्रिका फोटो

यह फायदा हुआ

फर्जी श्रमिकों के नियोजन पर रोक लगी
कार्यस्थल पर हाजिर श्रमिकों को ही भुगतान
विभिन्न स्तर से प्राप्त होने वाली शिकायतों में कमी

ऐप से ऐसे पकड़ा फर्जीवाड़ा

राज्य में कई मेटों ने एक या दो श्रमिकों की फोटो खींचकर बाकि मजदूरों की फर्जी उपस्थिति मस्टरोल में दिखाकर नकली बिल बनाए जा रहे थे। असल में जिन श्रमिकों ने काम ही नहीं किया, उनके नाम पर पैसे निकाल लिए गए। एनएमएमएस ऐप शुरू हुआ तो यह गड़बड़ियां पकड़ में आ गई।

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