मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि हिमालय से निकलने वाली चिनाब जैसी नदियों का अतिरिक्त पानी ब्यास, रावी और उझ जैसी पूर्व की ओर बहने वाली नदियों में लाया जाए, तो इससे जल संकट का स्थायी समाधान हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया कि राजस्थान को पीने के पानी के लिए 1.0 मिलियन एकड़ फीट (MAF), सिंचाई के लिए 1.0 MAF और औद्योगिक जरूरतों के लिए 0.2 MAF पानी की आवश्यकता है। इसके अलावा, राज्य की प्राकृतिक झीलों और जलाशयों में 1.0 MAF पानी जमा करने की क्षमता भी मौजूद है। इन परियोजनाओं से राजस्थान को कई बड़े लाभ होंगे।
राजस्थान को यह फायदा होगा-
पहला- ब्यास और सतलुज नदी में अतिरिक्त पानी पहुंचेगा, जिससे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के साथ-साथ राजस्थान को भी फायदा मिलेगा। दूसरा- इंदिरा गांधी नहर को और ज्यादा पानी मिल सकेगा, जिससे पश्चिमी राजस्थान की बड़ी आबादी को सिंचाई और पीने के लिए राहत मिलेगी। तीसरा- औद्योगिक क्षेत्रों को जल आपूर्ति आसान होगी, जिससे नए निवेश और रोजगार के रास्ते खुलेंगे। बता दें, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से इन परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह कदम राजस्थान के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इन परियोजनाओं से राज्य के जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
तीन जिलों के दौरे पर रहेंगे सीएम
इसके साथ ही, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने के लिए सक्रिय हैं। 18 जून को वे ‘वन्दे गंगा अभियान’ के तहत राजसमंद, जालौर और बाड़मेर जिलों का दौरा करेंगे। इस दौरान वे जल संरक्षण से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, धार्मिक स्थलों पर जल पूजन करेंगे और आमजन से संवाद कर इस अभियान को जन आंदोलन का रूप देंगे। इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना है।